Government's watch on online news portal, OTT platform

ओटीटी प्लेटफार्म, न्यूज चैनलों और वेबसाइट के स्तर में जिस तरह की गिरावट देखी जा रही है, उसे देखते हुए काफी समय से मांग की जा रही थी कि इनकी कोई नियामक संस्था हो.

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ओटीटी प्लेटफार्म, न्यूज चैनलों और वेबसाइट के स्तर में जिस तरह की गिरावट देखी जा रही है, उसे देखते हुए काफी समय से मांग की जा रही थी कि इनकी कोई नियामक संस्था हो. राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर के न्यूज चैनलों की तादाद सैकड़ों में जा पहुंची है. इनमें मनोरंजन, धार्मिक व शैक्षणिक चैनलों को जोड़ दिया जाए तो यह संख्या बहुत अधिक हो जाती है. हिंसा और अपराध वाले कार्यक्रम और वेबसीरीज अपनी लोकप्रियता के बल पर चल रहे हैं परंतु इससे अपराधी मानसिकता को भी प्रोत्साहन मिल रहा है. कुछ अपराधियों ने पकड़े जाने के बाद बताया कि उन्होंने टीवी के किसी खास कार्यक्रम को देखकर अपराध करने का तरीका सीखा. लोगों को याद है कि ब्लैक एंड व्हाइट टीवी के समय दूरदर्शन पर सुरुचिपूर्ण कार्यक्रम आते थे. ‘भारत एक खोज’ के अलावा हम लोग और बुनियाद जैसे सीरियल चला करते थे जिन्हें पूरा परिवार एक साथ देखता था. क्या अब अच्छे विषय नहीं मिलते या उन्हें पेश करने की मानसिकता ही नहीं रही? यद्यपि सूचना और संचार के युग में किसी चैनल या वेबसाइट पर कठोर प्रतिबंध नहीं लगाए जा सकते लेकिन फिर भी उनकी विषयवस्तु या कंटेंट का नियमन तो किया ही जा सकता है. एमटीवी जैसे चैनल नग्नता और वासना को बढ़ावा देकर किशोरों को गुमराह कर रहे हैं. क्राइम वाली वेब सीरीज तो कुछ ऐसा संदेश देती हैं जैसे समाज अत्यंत असुरक्षित और अपराधियों से घिरा हुआ है. कोरोना संकट के बाद से लोकप्रिय हुए ओटीटी प्लेटफार्म पर दिखाई जाने वाली वेब सीरीज में भी अश्लीलता व निम्नस्तरीय भाषा की शिकायतें आई थीं. यह अच्छा ही हुआ कि केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए डिजिटल मीडिया को सूचना एवं प्रसारण के नियंत्रण में कर दिया. अब ऑनलाइन फिल्मों, ऑडियो विजुअल कार्यक्रम, ऑनलाइन समाचार और करेंट अफेयर्स की सामग्री सूचना व प्रसारण मंत्रालय के तहत आएंगे. सरकार का यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. पिछले दिनों केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा भी था कि ऑनलाइन माध्यमों का नियमन करना टीवी से भी ज्यादा जरूरी है. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए मानक तय करने हैं तो  पहले डिजिटल मीडिया के लिए नियम-कानून बनाए जाएं. इस निर्णय के बाद ऑनलाइन फिल्मों व समाचारों पर सूचना-प्रसारण मंत्रालय की निगरानी रहेगी और किसी प्रकार की मनमानी नहीं चल पाएगी. लोगों को स्वस्थ मनोरंजन के साथ स्तरीय व उद्देश्यपूर्ण कार्यक्रम देखने को मिलें, समाचारों में मनगढ़ंत या अतिशयोक्तिपूर्ण बातें या दुष्प्रचार न हो, इसका भी ध्यान रखना होगा. अब जनता की निगाह इस बात पर रहेगी कि यह फैसला कितना असरदार साबित होता है.