Mother Teresa
Mother Teresa

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    मदर टेरेसा को हर कोई जानता है। भारत देश की महान विभूति मदर टेरेसा ने अपना जीवन का बड़ा हिस्सा सिर्फ लोगों की सेवा में लगा दिया। उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को अल्बानिया में हुआ था। मदर टेरेसा कैथोलिक नन थी। 18 साल तक वह अल्बानिया में रही उसके बाद वह आयरलैंड चली गई। 1929 में वह भारत आकर बेसहारा लोगों की सेवा करने लगी।

    वह लोगों के लिए आज भी एक मिसाल है। उन्होंने कोढ़ जैसी बीमारी से पीड़ित लोगों की सेवा की। उनके इन्हीं कामों ने उन्हें पूरी दुनिया में पहचान दी। मदर टेरेसा ने साल 1948 में भारत की नागरिकता ली। 17 अक्टूबर 1979 में उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया और साल 1980 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।   

    मदर टेरेसा गरीबों की मदद करने के लिए समर्पित महिलाओं की एक रोमन कैथोलिक मण्डली, ऑर्डर ऑफ द मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थापक थीं। 20वीं सदी की महानतम मानवतावादियों में से एक मानी जाने वाली महिला थी। आपको बता दें कि मदर टेरेसा का असली नाम एग्नेस गोंझा बोयाजिजू था। उन्होंने साल 1950 में कोलकाता का रुख किया, जहां उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी मिशन की स्थापना की।

    वे लगभग 68 साल तक कोलकाता शहर में रहीं और गरीब, बीमार व लाचार लोगों की सेवा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. मदर टेरेसा द्वारा स्थापित की गई यह संस्था लगभग 123 देशों में मौजूद है और इनके जरिए करीब 4500 सिस्टर लगातार असहाय और जरूरतमंदों की सेवा कर रही हैं। साल 1997 में उनका देहांत होने के बाद उन्हें 19 साल बाद आधिकारिक तौर पर संत की उपाधि दी गई। उन्होंने लोगों को मानवता की सेवा करने का पाठ पढ़ाया। लोगों को मानव की सेवा निस्वार्थ भाव से करने की सीख दी।