नई दिल्ली. महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने बुधवार को कोविड वैक्सीन (COVID Vaccine) को लेकर बड़ा बयान दिया है। जिसके बाद लोगों की चिंता और बढ़ गई है। महाराष्ट्र सरकार ने दावा किया है कि राज्य में वैक्सीन का सिर्फ तीन दिन का स्टॉक बचा हुआ है। हालांकि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के इस दावे को पूरी तरह से खारिज किया है। केंद्र सरकार ने बताया कि राज्य में कोविड वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। राज्य में लगभग 23 लाख डोज उपलब्ध हैं।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने कहा, “महाराष्ट्र सरकार को टीकाकरण (Vaccination) पर राजनीति (Politics) नहीं करनी चाहिए। अब तक महाराष्ट्र को उपलब्ध कराई गई COVID-19 वैक्सीन डोज़ की कुल संख्या 1 करोड़ 06 लाख 19 हजार 190 है, जिसमें से 90 लाख 53 हजार 523 डोज़ इस्तेमाल किए गए हैं।”
जावड़ेकर ने कहा कि, “महाराष्ट्र सरकार ने अब तक इस्तेमाल किए गए डोज़ में से 6 फीसदी यानी पांच लाख से ज्यादा डोज़ बेकार हो गए। वहीं 7 लाख 43 हजार 280 टीके पाइपलाइन में हैं। फिलहाल राज्य में लगभग 23 डोज़ उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि, “केंद्र सरकार वास्तविक खपत के लिए जरूरत से ज्यादा टीकों की आपूर्ति कर रही है।”
Central Govt replenishes more vaccine than what is needed for actual use: Union Minister Prakash Javadekar
— ANI (@ANI) April 7, 2021
वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों को लताड़ लगाते हुए उनपर पर्याप्त पात्र लाभार्थियों को टीका लगाए बिना सभी के लिए टीकों की मांग कर लोगों में दहशत फैलाने तथा अपनी “विफलताएं” छिपाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
हर्षवर्धन ने कहा कि, “टीकों की कमी को लेकर महाराष्ट्र के सरकारी प्रतिनिधियों के बयान और कुछ नहीं बल्कि वैश्विक महामारी के प्रसार को रोकने की महाराष्ट्र सरकार की बार-बार की विफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश है।” उन्होंने कहा कि टीकों की कमी के आरोप पूरी तरह निराधार हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र द्वारा की जा रही “जांचें पर्याप्त नहीं हैं और संक्रमितों के संपर्क में आने वालों का पता लगाना भी संतोषजनक नहीं है।” उन्होंने एक कड़े बयान में कहा, “हम यह देखकर स्तब्ध हैं कि राज्य सरकार निजी वसूली की खातिर लोगों को संस्थागत पृथकवास की अनिवार्यता से छूट देकर महाराष्ट्र को खतरे में डाल रही है।” उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर, जैसा कि राज्य एक संकट से निकल दूसरे में पड़ रहा है, ऐसा लग रहा है कि राज्य नेतृत्व को अपनी जिम्मेदारियों की कोई चिंता नहीं है।”