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    नई दिल्ली:  केंद्र सरकार ( Central Government) द्वारा उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में एक तरह से जाति आधारित जनगणना की मांग को खारिज किए जाने के एक दिन बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शुक्रवार को इसके हिमायती विपक्षी दलों (Opposition Parties) पर निशाना साधा और सवाल किया कि ऐसे दलों ने अपने संगठन और सरकार में समाज के इन वर्गों को कितना प्रतिनिधित्व दिया।

    भाजपा ने यह भी स्पष्ट किया कि राजनीतिक रूप से अहम इस मुद्दे पर उसका रुख उन सहयोगी दलों से भी अलग हो सकता है जो जाति आधारित जनगणना के समर्थन में हैं। कई राजनीतिक दलों, खासकर क्षेत्रीय दलों ने जाति आधारित जनगणना का समर्थन किया है। इन दलों का मुख्य आधार अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं में है।

    पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और बहुजन समाज पार्टी जैसे दलों की जाति आधारित जनगणना का समर्थन करने के लिए आलोचना की और आरोप लगाया कि उनके नेताओं को गरीबों के नेता के रूप में पेश किया गया लेकिन अंतत: उन्होंने अपने परिवारों का ही भला किया।

    इस विषय पर पार्टी की राय पूछे जाने जाने पर उन्होंने कहा कि पार्टी ने ‘‘तकनीकी आधार” पर अपनी स्थिति तय की है। उन्होंने कहा, ‘‘समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव को ‘धरतीपुत्र’ कहा जाता था…सबके नेता थे लेकिन अंतत: क्या हुआ। वह पुत्र के पिता साबित हुए। इसी प्रकार वंचितों व शोषितों की बहन मायावती आखिरकार अपने सगे भाई की बहन निकली…और बिहार में सुनते थे गरीब-गुरबों की सरकार और आखिरकार गरीब-गुरबा का कुनबा इस समय बिहार का सबसे अमीर कुनबा है। आखिर में सिर्फ कुनबे की सरकार निकली।”

    उन्होंने कहा जहां तक भाजपा का सवाल है प्रधानमंत्री मोदी की नीति बहुत स्पष्ट है और वह है ‘‘सबका साथ, सबका विकास”। उन्होंने केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन योजनाओं का लाभ सभी को मिला है चाहे वह किसी भी जाति या पंथ का व्यक्ति हो। उन्होंने कहा, ‘‘सभी का सम्मान, सबका स्थान और सबका उत्थान…यह हमने मंत्रिपरिषद के विस्तार से लेकर अपनी पार्टी की कार्यप्रणाली में कर के दिखाया है।”

    यह पूछे जाने पर कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री व अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल सहित भाजपा के कुछ सहयोगी दल भी जाति आधारित जनगणना के पक्ष में हैं, पर त्रिवेदी ने कहा कि अलग-अलग दल हर मुद्दे पर अपनी अलग राय रखते हैं। इस कड़ी में उन्होंने उदाहरण दिया कि जनता दल यूनाइटेड का राम मंदिर को लेकर अलग रुख था जबकि भाजपा इसके समर्थन में थी।

    बिहार से दस दलों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की थी।

    ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर” है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना ‘‘सतर्क नीति निर्णय” है। उच्चतम न्यायालय में दायर हलफनामे के मुताबिक, सरकार ने कहा है कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी), 2011 में काफी गलतियां एवं अशुद्धियां हैं।