BALOON
Pic: ANI

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    नई दिल्ली. जहां एक तरफ अमेरिका (America) ने पिछले दिनों चीन के जासूसी गुब्बारे (China Balloons) को अटलांटिक सागर के ऊपर मार गिराया था। वहीं अब अमेरिका का कहना है कि चीन का यह जासूसी गुब्बारा जानकारी इकट्ठा करने में भी काफी सक्षम था इसलिए इसे मार दिया गया। यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने गुरुवार को कहा कि चीन की यह जासूसी बैलून कम्युनिकेशन सिग्नल को इकट्ठा करने में सक्षम था।

    जानकारी के अनुसार यह जासूसी गुब्बारा चीनी PLA यानी चीनी आर्मी के डायरेक्शन पर काम करता था। यह बैलून चीनी सेना के निगरानी गुब्बारों के बेड़े का हिस्सा था, जो पांच महाद्वीपों के 40 से अधिक देशों में उड़ान भर चुका था। पहली बार चीन के इस जासूसी गुब्बारे को अमेरिका के मोनटाना में उड़ते हुए देखा गया था। अमेरिका में मोंटाना का इलाका न्यूक्लियर जोन वाला इलाका है।

    ख़ास था चीनी जासूसी गुब्बारा 

    मामले पर अमेरिका के अनुसार, चीन ने निगरानी के लिए इस गुब्बारे का इस्तेमाल किया था। वहीं U-2 फ्लाईबीज़ से उच्च रिज़ॉल्यूशन इमेजरी से पता चला कि हाई अल्टीट्यूड (उच्च ऊंचाई) वाला यह गुब्बारा सिग्नल इंटेलिजेंस कलेक्शन ऑपरेशन करने में भी ख़ासा सक्षम था। इसके उपकरण स्पष्ट रूप से निगरानी के लिए थे और मौसम वाले गुब्बारों पर लगने वाले उपकरण भी अलग से लगे थे। 

    भारत को भी खतरा

    अमेरिका का दावा है कि चीन सिर्फ उसकी जासूसी नहीं कर रहा था, चीन ने ऐसे गुब्बारों के जरिए जिन देशों की जासूसी कराई, उनमें भारत भी शामिल है। दरअसल अब अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दिसंबर 2021 से जनवरी 2022 के बीच चीन के ऐसे ही एक जासूसी गुब्बारे ने भारत के सैन्य बेस की जासूसी भी की थी। इस जासूसी गुब्बारे ने तब अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर के ऊपर से उड़ान भरी थी। इस तरह के एक गुब्बारे की फोटोज भी तब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थीं।

    ऐसे में अब भारत के लिए चिंता की बात ये है कि, अगर यह हुआ है तो पता हो कि, दिसंबर 2021 के आखिरी हफ्ते में भारतीय सेना की तीनों विंग (आर्मी, एयरफोर्स और नेवी) के जवान अंडमान निकोबार में एक साथ ड्रिल करने के लिए ख़ास तौर पर जुटे थे। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि ट्राई सर्विस कमांड के दौरान ही चीन के इस जासूसी गुब्बारे को अंडमान निकोबार में देखा गया था। हालांकि भारत सरकार की तरफ से इस पर कोई अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया।

    क्या होगा भारत का रुख 

    ऐसे में अब लाख टके सवाल यही है कि क्या अब भारतीय वायुसेना या IAF भी अमेरिका की तरह इस प्रकार का हमला कर इनका शिकार करेगी। पता हो कि, भारत और चीन के बीच वैसे ही हाल के सालों में सैन्य तनाव बढ़ा है। वहीं गलवान घाटी में संघर्ष के बाद से दोनों देशों की सेनाएं अलर्ट पर हैं। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भी कुछ महीनों पहले चीन-भारत की सेनाओं के बीच एक तीखी झड़प हुई थी।