coal scam case
प्रतीकात्मक तस्वीर

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    नयी दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लि. (सीआईएल) ने अपने कामकाज को ऊर्जा दक्ष बनाने का निर्णय किया है और इस साल कार्बन उत्सर्जन में 60,000 टन से अधिक की कमी लाने की प्रतिबद्धता जतायी है।  कोयला मंत्रालय के बयान के अनुसार देश में कोयला उत्पादन में 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखने वाली कोल इंडिया ने कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिये तात्कालिक कदम के अलावा पंचवर्षीय योजना भी तैयार की है। 

    बयान में कहा गया है, ‘‘…कोल इंडिया इस वर्ष के अंत तक 60,000 टन से अधिक कार्बन उत्सर्जन में कमी का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो कि एक बहुत बड़ी सफलता होगी।” कोल इंडिया ने अपने परिचालन क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए ऊर्जा दक्षता से जुड़े उपायों पर विशेष जोर दिया है और कंपनी अपनी सभी कोयला उत्पादक कंपनियों के खनन कार्यों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के विभिन्न उपायों के साथ इस दिशा में आगे बढ़ रही है। 

    कोयला कंपनियां विद्युत आपूर्ति के कुशल प्रबंधन के अलावा ऊर्जा दक्षता के उपायों को अपने रिहायशी इलाकों, भवनों, कार्यालयों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों आदि जैसे कई क्षेत्रों में लागू कर रही है।  हालांकि, कार्बन उत्सर्जन में सबसे बड़ी कमी भारी मशीनों के उपयोग (हेवी अर्थ मूविंग मशीन -एचईएमएम), परिवहन, वेंटिलेशन, पंपिंग आदि जैसे खनन से संबंधित विभिन्न गतिविधियों से जुड़ी हैं। 

    सीआईएल का जोर विभागीय स्तर पर या अनुबंध के आधार पर चल रहे एचईएमएम उपकरणों के विशाल बेड़े में बदलाव लाकर उन्हें डीजल की जगह एलएनजी से संचालित करने पर है। यह न केवल लागत में कटौती करने की दिशा में एक बड़ी सफलता होगी, बल्कि इससे कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी।

    सीआईएल ने एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) का थोक उपयोग शुरू करने से पहले सीआईएल के कुछ खदानों में गेल के सहयोग से पायलट परियोजना शुरू करने की पहल की है। इसके अलावा कोल इंडिया ने कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिये बिजली चालित वाहनों के उपयोग का निर्णय किया है। इसके तहत अगले पांच साल में सीआईएल के सभी खनन क्षेत्रों में लगभग 1,500 ई-वाहन का उपयोग किया जाएगा। इस साल के अंत तक लगभग 200 ई-वाहनों का परिचालन शुरू होने की उम्मीद है।

    बयान के अनुसार सीआईएल अपने विभिन्न प्रतिष्ठानों में, लगभग 5,000 पारंपरिक एसी और अन्य उपकरणों की जगह ऊर्जा दक्ष उपकरण लगाएगी। इसी तरह, ऊर्जा की बचत करने के लिए परंपरागत लाइट के स्थान पर करीब ढाई लाख एलईडी लाइट लगाई जायेंगी। कार्यालयों में पुराने पंखों को बदलकर उनकी जगह एक लाख से अधिक कम बिजली खपत वाले पंखों का उपयोग किया जाएगा। इन ऊर्जा दक्ष उपायों के जरिये कोल इंडिया ने अगले पांच साल में लगभग 2.5 लाख टन कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की योजना बनायी है।