‘वास्तविक स्थिति बता रहें हैं, उनको सजा मत दीजिए’, कांग्रेस ने जोशीमठ को लेकर सरकार से कहा

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    नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) ने शनिवार को उस सरकारी परामर्श की शनिवार को आलोचना की जिसमें इसरो और कई अन्य सरकारी संगठनों एवं संस्थानों को पूर्व अनुमति के बिना जोशीमठ की स्थिति पर मीडिया से बातचीत या सोशल मीडिया पर जानकारी साझा नहीं करने को कहा गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस संबंध में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा लिखा गया एक पत्र भी साझा किया।

    खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘जोशीमठ के बाद अब कर्णप्रयाग और टिहरी गढ़वाल में भी घरों की दीवारों में दरारें आने की खबरें आ रही हैं।”  उन्होंने कहा, ‘‘संकट को हल करने और लोगों की समस्याओं का समाधान खोजने के बजाय, सरकारी एजेंसियां ​​इसरो की रिपोर्ट पर प्रतिबंध लगा रही हैं और अपने अधिकारियों को मीडिया से बातचीत करने से रोक रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से आग्रह है कि जो वास्तविक स्थिति बता रहें हैं, उनको सजा मत दीजिए (डोंट शूट द मैसेंजर)।”

    जोशीमठ में जमीन धंसने को लेकर चिंताएं शुक्रवार को तब बढ़ गईं, जब इसरो द्वारा जारी उपग्रह छवियों में दिखाया गया है कि हिमालयी शहर 12 दिनों में 5.4 सेंटीमीटर धंस गया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘वे एक संवैधानिक संस्था से दूसरे पर हमला करवाते हैं। अब, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इसरो को चुप रहने के लिए कह रहा है।” उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, ‘‘लेकिन उपग्रह छवियां कैसे झूठ बोल सकती हैं? यह नया भारत है जहां सिर्फ एक व्यक्ति ही सब कुछ जानता है और तय करेगा कि कौन किसी चीज पर बोलेगा।”

    एनडीएमए और उत्तराखंड सरकार ने 12 से अधिक सरकारी संगठनों और संस्थानों तथा उनके विशेषज्ञों से जोशीमठ की स्थिति पर कोई अनधिकृत टिप्पणी या बयान नहीं देने को कहा है। एनडीएमए ने इन संगठनों और संस्थानों के प्रमुखों को भेजे अपने पत्र में कहा है कि उनसे जुड़े लोगों को उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने के संबंध में मीडिया से बातचीत नहीं करनी चाहिए और सोशल मीडिया पर इससे संबंधित आंकड़े साझा नहीं करने चाहिए।

    आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इस परामर्श का मकसद मीडिया को जानकारी देने से इंकार करना नहीं, बल्कि भ्रम से बचना है क्योंकि इस प्रक्रिया में बहुत सारे संस्थान शामिल हैं और वे स्थिति के मद्देनजर अपनी-अपनी व्याख्या दे रहे हैं।

    ये निर्देश केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई),रुड़की, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), इसरो, हैदराबाद के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी), नई दिल्ली, भारत के महासर्वेक्षक, देहरादून और भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून को भेजे गये हैं। यह परामर्श राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, देहरादून, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को भी भेजा गया है।(एजेंसी)