
नई दिल्ली: कृषि कानून (Agriculture Bill) को लेकर देश में हिंसा फ़ैलाने के लिए टूलकिट बनाने मामले (Toolkit Case) में आरोपी निकिता जैकब (Nikita Jocab), शांतनु मुलुक (Shantanu Muluk) और शुभम कर चौधरी को दिल्ली की अदालत से बड़ी राहत मिली है। सोमवार को दायर याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि, अगर मामले में गिरफ़्तारी की जरुरत पड़ती है तो आरोपियों को सात दिन पहले नोटिस देना।”
इसी के साथ अदालत ने निकिता जैकब, शांतनु मुलुक और शुभम कर चौधरी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है। अदालत ने अभियोजन पक्ष एवं आरोपियों के बीच व्यवस्था पर सहमति बन जाने के बाद यह आदेश जारी किया। ज्ञात हो कि, पिछली सुनवाई में अदालत ने तीनों की जमानत को 15 मार्च तक बढ़ा दी थी।
Toolkit case: Delhi court disposes of anticipatory bail applications moved by Nikita Jacob, Shantanu Muluk & Shubham Kar Chaudhari
The court records that when arrest becomes unavoidable, advance notice of 7 working days shall be given to the accused to avail remedies
— ANI (@ANI) March 15, 2021
इससे पहले अदालत ने इस मामले में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि (21) को नियमित जमानत दी थी। रवि को तीन नये कृषि कानूनों के विरूद्ध किसानों के प्रदर्शन के सिलसिले में ‘टूलकिट’ दस्तावेज बनाने एवं उसे साझा करने को लेकर बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था। वह ‘टूलकिट’ दस्तावेज के संपादकों में एक थीं।
पुलिस ने सोमवार को अदालत से कहा कि जांच विदेश आधारित सेवा प्रदाताओं पर आश्रित है और आरोपियों का आचरण देखते हुए हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ जरूरी होगी। पुलिस ने कहा, ‘‘हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं, जहां हमें हिरासत में लेकर पूछताछ करने से वंचित कर दिया जाए।”
अभियोजन पक्ष ने कहा कि जांच प्रारंभिक चरण में है, जिसके लिए तकनीकी विश्लेषण जरूरी है। अदालत ने कहा, ‘‘इस मोड़ पर, बचाव पक्ष के वकील ने प्रस्ताव दिया है कि एजेंसी की निष्पक्षता के वास्ते वे इस शर्त पर याचिका वापस लेने के लिए इच्छुक हैं कि जब भी गिरफ्तारी आसन्न एवं अपरिहार्य होगी, तब उन्हें सात कामकाजी दिनों का नोटिस दिया जाएगा।”
अदालत ने कहा कि आरोपी इस दौरान अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं। पुलिस इस अनुरोध पर राजी हो गयी। इन तीनों ही आरोपियों को इस मामले में ट्रांजिट जमानत दी गयी है। इस संबंध में भादंसं की धाराओं 124 ए (राजद्रोह), 153 (वैमनस्यता फैलाना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।