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कुर्सी बचाने सोरेन दे रहे सरफराज की कुर्बानी

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नई दिल्ली/रांची: जहां एक तरफ झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) पर भूमि घोटाला मामले में ED अपना शिकंजा कसती ही जा रही है, वहीँ इसके चलते सोरेन की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। इस सबके बीच आ रही बड़ी खबर के अनुसार हेमंत जल्द ही आपनी पत्नी को कुर्सी सौंप सकते हैं। आगामी 3 जनवरी बुधवार को शाम 4:30 सोरेन ने विधायक दल की बैठक बुलाई है।

डॉ सरफराज अहमद ने अपने पद से दिया इस्तीफा 

इधर गिरिडीह के गांडेय से जेएमएम विधायक डॉ सरफराज अहमद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसने झारखंड की राजनीति में चर्चाओं का दौर एक बार फिर गर्म कर दिया है। ऐसे में अब अहमद के इस्तीफे को नए पदाधिकारी (मुख्यमंत्री) के लिए खाली की गई सीट के रूप में देखा जा रहा है। अटकलें इस बात की भी हैं कि ED द्वारा खड़ा किये जाने वाले किसी भी मुसीबत से पहले राज्य के CM हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम की कुर्सी सौंप सकते हैं। संभावना जताई जा रही है कि आगामी बुधवार को होने वाली बैठक में कल्पना सोरेन के नाम पर आम सहमति भी बन सकती है।

क्या है सोरेन की मुश्किलें 

यह भी देखा जाये  कल्पना सोरेन झारखंड विधानसभा की सदस्य नहीं हैं। ऐसे में अगर वह मुख्यमंत्री बनाई जाती हैं तो उन्हें छह महीने के अंदर विधानसभा की सदस्यता लेनी होगी। वहीँ उनके पति हेमंत सोरेन फिलहाल बरहेट विधान सभा सीट से विधायक हैं, जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। कल्पना सोरेन पड़ोसी राज्य ओडिशा के मयूरभंज की रहने वाली हैं और वे स्वयं आदिवासी नहीं हैं। इसलिए वह पति द्वारा सीट छोड़े जाने के बावजूद बरहेट सीट पर चुनाव भी नहीं लड़ सकती हैं।

सरफराज अहमद क्यों देंगे कुर्बानी

लेकिन फिर उडती खबर यह भी है की गांडेय सीट छोड़ने वाले सरफराज अहमद को उनके इस त्याग का इनाम भी दिया जा सकता है। दरअसल चर्चा यह भी है कि आगामी फरवरी-मार्च में होने वाले द्विवार्षिक राज्यसभा चुनावों में पार्टी उन्हें संसद भेज सकती है। सरफराज अहमद वरिष्ठ राजनेता हैं। वह कांग्रेस में भी रह चुके हैं। साथ ही वह संयुक्त बिहार में वह गांडेय सीट से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

सोरेन बना रहे बीजेपी के खिलाफ माहौल 

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी BJP के खिलाफ माहौल बना रहे हैं, आज उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें ‘जल, जंगल और जमीन’ से संबंधित मुद्दों पर आदिवासी समुदाय को विभाजित करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘समाज में कुछ ताकतें हैं जो ‘जल, जंगल और जमीन’ से जुड़े मुद्दों पर आदिवासियों को बांटना चाहती हैं और छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम और संताल परगना भूधारण अधिनियम जैसे कानूनों के साथ छेड़छाड़ करके समुदाय को विस्थापित करना चाहती हैं। वे आदिवासी संस्कृति और परंपराओं पर भी हमला कर रहे हैं।”  

फिर मुड़े आदिवासियों की ओर 

सोरेन ने कहा कि झारखंड की पहचान कभी आदिवासियों से होती थी, लेकिन बीते दो दशकों में यह समुदाय राज्य में हाशिए पर चला गया है। उन्होंने आदिवासियों से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘लेकिन, आप लोगों ने मेरी पार्टी को वोट देकर सत्ता में पहुंचाया है और मैं आप सभी को आश्वस्त कर सकता हूं कि मेरी सरकार किसी को भी समुदाय के सम्मान और स्वाभिमान को धूमिल करने की इजाजत नहीं देगी।”