नई दिल्ली. बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) के ऊपर लापता हुए भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के AN-32 विमान (पंजीकरण K-2743) का मलबा आठ साल बाद चेन्नई तट से लगभग 140 समुद्री मील (लगभग 310 किमी) दूर पाया गया। केंद्रीय रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है।
3400 मीटर की गहराई पर की गई थी खोज
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तत्वावधान में कार्य करने वाले राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान ने हाल ही में लापता An-32 के अंतिम ज्ञात स्थान पर गहरे समुद्र में अन्वेषण क्षमता के साथ एक स्वायत्त अंडरवाटर वाहन (एयूवी) तैनात किया था। यह खोज मल्टी-बीम सोनार (साउंड नेविगेशन एंड रेंजिंग), सिंथेटिक एपर्चर सोनार और उच्च रिज़ॉल्यूशन फोटोग्राफी सहित कई पेलोड का उपयोग करके 3400 मीटर की गहराई पर की गई थी।
The debris of the Indian Air Force An-32 aircraft (registration K-2743) that went missing over the Bay of Bengal in 2016 has been found approximately 140 nautical miles (approx. 310 Km) from the Chennai coast.
National Institute of Ocean Technology which functions under the… pic.twitter.com/XyEWQcs1zn
— ANI (@ANI) January 12, 2024
छवियों को An-32 विमान के अनुरूप पाया गया
खोज छवियों के विश्लेषण से चेन्नई तट से लगभग 140 समुद्री मील (लगभग 310 किमी) दूर समुद्र तल पर एक दुर्घटनाग्रस्त विमान के मलबे की उपस्थिति का संकेत मिला। खोजी गई छवियों की जांच की गई। उन्हें An-32 विमान के अनुरूप पाया गया। संभावित दुर्घटना स्थल पर यह खोज, उसी क्षेत्र में किसी अन्य लापता विमान की रिपोर्ट का कोई अन्य दर्ज इतिहास नहीं होने के कारण, मलबा संभवतः दुर्घटनाग्रस्त IAF An-32 (K-2743) का है।
An-32 विमान ने अंडमान और निकोबार के लिए भरी थी उड़ान
गौरतलब है कि भारतीय वायु सेना का An-32 विमान 22 जुलाई 2016 को बंगाल की खाड़ी के ऊपर लापता हो गया था। विमान में 29 कर्मी सवार थे। विमान ने सुबह चेन्नई के तांबरम एयरफोर्स स्टेशन से नियमित साप्ताहिक कूरियर उड़ान पर उड़ान भरी थी और इसे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर पहुंचना था। इस दौरान विमान और जहाजों द्वारा बड़े पैमाने पर खोज और बचाव अभियानों के बावजूद, किसी भी लापता कर्मी या विमान के मलबे का पता नहीं लगाया जा सका था।
भारतीय वायु सेना, नौसेना ने चलाया था सबसे बड़ा सर्च ऑप्रेशन
An-32 विमान का पता लगाने में भारतीय वायु सेना, नौसेना और तटरक्षक बल शामिल थे। वायु सेना ने C-130J सुपर हरक्यूलिस सहित तीन विमान और चार जहाज तैनात किए थे। जबकि, नौसेना ने कई जहाज तैनात किए थे। INS करमुख, घड़ियाल, ज्योति, कुथार, सह्याद्रि, राजपूत, रणविजय, कामोर्टा, किर्च आदि ने विमान के उड़ान मार्ग को स्कैन किया था।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो हवाई यातायात नियंत्रकों का An-32 से रडार संपर्क टूट गया था, जो चेन्नई से करीब 280 किमी दूर समुद्र में लगभग 23,000 फीट से नीचे गिर गया। उस वक्त तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर खुद इस मामले पर नजर बनाए हुए थे। उस समय शुरू किए गए बड़े पैमाने पर खोज और बचाव (एसएआर) ऑपरेशन को भारतीय वायुसेना के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा अभियान माना जाता है।