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कड़ाके की ठंड के बावजूद सड़कों पर उतरे हजारों लोग

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नई दिल्ली: जहां एक तरफ लद्दाख (Laddakh) को अब पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा दिए जाने की मांग को लेकर हजारों की संख्या में लोगों ने बीते शनिवार 3 फरवरी को एक बड़ा मार्च निकाला। इस बाबत हजारों पुरुषों और महिलाओं ने कड़कड़ाती ठंड में लेह की सड़कों पर उतरकर अपना प्रदर्शन किया। वहीं इस व्यापक विरोध के चलते लद्दाख में पूरी तरह शटडाउन (Laddakh Shutdown) लग गया ।

दरअसल बीते शनिवार  3 फरवरी को केंद्र शासित प्रदेश के लिए छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर हजारों लोगों ने मार्च निकाला। इसके चलते पूरा लद्दाख बंद रहा। वहीं लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस द्वारा संयुक्त रूप से यह विरोध प्रदर्शन किया गया। इनकी मांग है कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, संविधान के छठे शेड्यूल को लागू किया जाए और लेह और कारगिल को संसद में अलग-अलग सीटें भी दी जाएं।

केंद्र का आश्वासन फिर भी विरोध प्रदर्शन

हालांकि इसके पहले भी लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग पर एक विरोध प्रदर्शन का ऐलान हुआ था। लेकिन उससे पहले ही केंद्र घोषणा कर चुकी है कि लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनिधियों के साथ दूसरे दौर की वार्ता आयोजित की जाएगी। इन सबके बावजूद लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और क्षेत्र में हड़ताल की। केंद्र ने पहले ही लद्दाख के लोगों की मांगों पर विचार करने के लिए राज्य मंत्री (गृह मामले) नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर चुकी है।

क्या है  लद्दाख के लोगों का कहना

लेकिन इस पूरे मुद्दे पर लद्दाख के लोगों का कहना है कि वे इस कभी न खत्म होने वाले ब्यूरोक्रेटिक रूल के तहत अब नहीं रह सकते। लोगों ने साफ़ कहा कि सिर्फ पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद ही उनकी समस्त मांग पूरी होगी, जब वे राज्य के लिए खुद प्रतिनिधि भी चुन सकेंगे। इस बाबत दिसंबर में केंद्र ने लद्दाख में पहली बैठक की थी और लेह और करगिल की दोनों संस्थाओं से अपनी मांगें रखने को भी कहा था।

आर्टिकल 370 हटने से ‘क्या’ हुआ इनका नुकसान?

वहीं आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद बीते अगस्त 2019 में तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को विभाजित कर दो केंद्रशासित प्रदेशों में बदल दिया गया था। लद्दाख को एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया है। लेकिन इसके दो साल के अंदर ही अब लेह और कारगिल के लोगों खुद को राजनीतिक तौर पर बेदखल किया हुआ महसूस करने लगे और तभी से यह केंद्र के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। 

ऐसे में बीते दो साल में लोगों ने कई बार विरोध प्रदर्शन कर पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा मांगते रहे हैं, जिससे उनकी जमीन, नौकरियां और अलग पहचान बनी रही, जो आर्टिकल 370 के तहत उन्हें मिला करता था।