LS polls: Congress releases manifesto

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नई दिल्ली: कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को अपना घोषणापत्र जारी किया है। पार्टी ने अपने घोषणा पत्र को ‘न्याय पत्र’ नाम दिया है। इसमें उसने जाति आधारित जनगणना कराने, आरक्षण की सीमा बढ़ा कर 50 प्रतिशत से अधिक करने, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने तथा चुनावी बॉण्ड, राफेल एवं पेगासस जैसे ‘भ्रष्टाचार के मामलों’ की जांच कराने का वादा किया। पार्टी ने नयी शिक्षा नीति में संशोधन करने, दल-बदल करने वालों सांसदों-विधायकों की सदस्यता रद्द करने का कानूनी प्रावधान करने, ऊपरी अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग गठित करने सहित कई अन्य वादे अपने इस घोषणापत्र में किए हैं। हालांकि पार्टी के इस घोषणापत्र में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की गैर-मौजूदगी सुर्खियों का हिस्सा बन गई है। की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्थानीय चुनावों में आक्रामक तेवर से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र से पूरी तरह हटाने तक कांग्रेस ने पुरानी पेंशन के मुद्दे पर यू-टर्न ले लिया है।

मीडिया खबरों के अनुसार, जब घोषणापत्र जारी किया गया तो कई कांग्रेसी नेता उसमें ओल्ड पेंशन स्कीम का जिक्र न पाकर हैरान हो गए। सूत्रों ने बताया कि घोषणापत्र समिति की आखिरी बैठक तक ज्यादातर सदस्यों की राय थी कि अग्निवीर को खत्म करने के अलावा ओपीएस उनके प्रमुख मुद्दों में से एक है। हालांकि, जब कांग्रेस नेतृत्व से पूछा गया कि विधानसभा चुनावों में ओपीएस आपके बड़े चुनावी वादों में से एक रहा है और इसे राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में लागू भी किया गया फिर इसे घोषणा पत्र से बाहर क्यों किया गया, क्या यह आर्थिक रूप से अव्यवहार्य है?

OPS के सवाल पर क्या बोले चिदंबरम?

कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में ‘पुरानी पेंशन योजना’ (ओपीएस) का उल्लेख नहीं होने को लेकर शुक्रवार को कहा कि इस विषय को उसने छोड़ा नहीं है और यह उसके दिमाग में है, लेकिन सरकार द्वारा एक समिति गठित किए जाने के कारण फिलहाल इसका जिक्र नहीं किया है। पार्टी की घोषणापत्र समिति के प्रमुख और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि सरकार द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी।

OPS हमारे दिमाग में

चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह (ओपीएस घोषणापत्र से) गायब नहीं है, यह हमारे दिमाग में है, लेकिन कृपया पिछले चार महीनों में हुए घटनाक्रम को याद रखें। सरकार ने एनपीएस और ओपीएस की मांग की समीक्षा करने के संदर्भ में वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है…एक दृष्टिकोण यह है कि जहां ओपीएस ने पेंशनभोगियों को लाभ पहुंचाया, वहीं एनपीएस ने इसे टिकाऊ बनाया।”

उन्होंने कहा, ‘‘अब वित्त सचिव के अधीन एक समिति नियुक्त की गई है इसलिए कोई रुख अपनाना जल्दबाजी होगा।” कांग्रेस ने पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में ओपीएस को बहाल करने का वादा किया था। राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में इसे बहाल भी किया गया है।

पार्टी घोषणापत्र के 10 न्याय

यह घोषणापत्र पार्टी के 10 न्याय – ‘हिस्सेदारी न्याय’, ‘किसान न्याय’, ‘नारी न्याय’, ‘श्रमिक न्याय’, ‘युवा न्याय’, ‘संविधान न्याय’, ‘आर्थिक न्याय’, ‘राज्य न्याय’, ‘रक्षा न्याय’ और ‘पर्यावरण न्याय’ के आधार पर तैयार किया है। इससे पहले, पार्टी ने पांच ‘न्याय’ और 25 ‘गारंटी’ जनता के समक्ष रखी थी।