PM मोदी ने ICRISAT के 50वीं वर्षगांठ समारोह का किया उद्घाटन, कहा- फूड सिक्योरिटी के साथ न्यूट्रीशन सुरक्षा पर भी फोकस

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    हैदराबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को  अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) की 50 वीं वर्षगांठ समारोह में शामिल होने हैदराबाद पहुंचे। जहां पीएम ने क्लाइमेट चेंज रिसर्च फैसिलिटी का उद्घाटन किया और एक डाक टिकट भी जारी किया। इस दौरान वहां लोगों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि, “उनकी सरकार देश के 80 प्रतिशत छोटे किसानों के लिए काम कर रही है। वहीं हम फूड सिक्योरिटी के साथ न्यूट्रीशन सुरक्षा पर भी फोकस कर रहे हैं।”

    प्रधानमंत्री ने कहा, “ICRISAT को कृषि को आसान और टिकाऊ बनाने में अन्य देशों की मदद करने का 5 दशकों का अनुभव है। आज, मुझे उम्मीद है कि वे भारत के ‘कृषि’ क्षेत्र को मजबूत करने के लिए अपनी विशेषज्ञता देना जारी रखेंगे।”

    उन्होंने कहा, “भारत ने 2070 तक नेट-जीरो का लक्ष्य निर्धारित किया है। हमने पर्यावरण के लिए जीवन-जीवन शैली की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला है और प्रो प्लैनेट पीपल मूवमेंट का भी आह्वान किया है – एक ऐसा आंदोलन जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है और प्रत्येक व्यक्ति को जलवायु से जोड़ता है।”

    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “अगले कुछ वर्षों में, हम पाम तेल क्षेत्र में रकबा उपयोग 6.5 लाख हेक्टेयर तक ले जाना चाहते हैं…हम खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमने पिछले 7 वर्षों में कई जैव-फोर्टिफाइड किस्में विकसित की हैं।”

    हमारा फोकस देश के 80 फीसदी से ज्यादा छोटे किसानों पर

    किसानों और कृषि की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “हमारे किसानों को जलवायु की चुनौती से बचाने के लिए, हमारा फोकस बैक टू बेसिक्स और मार्च टू फ्यूचर दोनों के फ्यूजन पर है। हमारा फोकस देश के 80 फीसदी से ज्यादा छोटे किसानों पर है, जिन्हें हमारी सबसे ज्यादा जरूरत है। केंद्रीय बजट 2022-23 प्राकृतिक खेती और डिजिटल कृषि पर केंद्रित है।”

    जय जवान, जय किसान, जय विज्ञानं के साथ अब जय अनुसंधान

    केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र एस तोमर ने कहा, “इस साल भारत ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है और ICRISAT भी 50 साल पूरे कर रहा है। दोनों अवसर हमें अगले 25 वर्षों के लिए संकल्प लेने की प्रेरणा और अवसर देते हैं।”

    उन्होंने कहा, “एक समय ‘जय जवान, जय किसान’ कहा जाता था। जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधान मंत्री बने तो उन्होंने इसमें ‘जय विज्ञान’ जोड़ा और अब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के साथ इसमें नया नारा ‘जय अनुसंधान’ जोड़ा गया है।”