Global South Summit 2023
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी FILE PHOTO

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने हमास और इजरायल (Hama-Israel War) के बीच जारी संघर्ष पर शुक्रवार को कहा कि पश्चिम एशिया के घटनाक्रम से नई चुनौतियां उभर रही हैं और अब वक्त आ गया है कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों को पूरी दुनिया के व्यापक हित में मिल कर आवाज उठानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने भारत द्वारा आयोजित दूसरे ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ को वर्चुल तौर पर संबोधित करते हुए यह बात कही।

इजराइल पर आतंकवादी हमले की निंदा

ग्लोबल साउथ (Global South) से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित और अविकसित के रूप में जाना जाता है, ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने इजराइल पर आतंकवादी हमले की निंदा की है। उन्होंने कहा कि हम हमास और इजराइल के बीच संघर्ष में आम नागरिकों के मारे जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। हमने बातचीत, कूटनीति के साथ-साथ संयम पर भी जोर दिया है।पीएम मोदी ने कहा कि हम देख रहे हैं कि पश्चिम एशिया के घटनाक्रम से नई चुनौतियां उभर रही हैं।

5 C के तहत सहयोग की अपील 

भारत ने विकासशील देशों के समक्ष आने वाली चुनौतियों और चिंताओं पर आवाज उठाने के लिए जनवरी में ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ (Voices of the Global South Summit) के पहले संस्करण की मेजबानी की थी। उन्होंने कहा कि ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ 21वीं सदी की बदलती दुनिया को प्रतिबिम्बित करने वाला सर्वश्रेष्ठ मंच है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम 100 से अधिक देश हैं लेकिन हमारी प्राथमिकताएं समान हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र ने शिखर सम्मेलन में पांच ‘सी’- परामर्श, संचार, सहयोग, रचनात्मकता और क्षमता निर्माण के ढांचे के तहत सहयोग की अपील की । 

जलवायु परिवर्तन से पर  गंभीर

प्रधानमंत्री ने जी20 में अफ्रीकी संघ के शामिल होने का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि मैं उस ऐतिहासिक क्षण को नहीं भूल सकता जब भारत के प्रयासों से अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया था। उन्होंने जी20 में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों की चर्चा करते हुए कहा कि इस बार जी20 देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए धन देने पर महत्वपूर्ण गंभीरता दिखाई है।

साथ ही जी20 में ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों को जलवायु परिवर्तन पर आसान शर्तों पर वित्त और प्रौद्योगिकी प्रदान करने की सहमति बनी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का मानना है कि नई तकनीक से ‘ग्लोबल साउथ’ और ‘नॉर्थ’ के बीच दूरियां नहीं बढ़नी चाहिए।