abhaya

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तिरुवनंतपुरम. केरल (Kerala) में तिरुवनंपुरम की एक सीबीआई (CBI) अदालत ने 21 वर्षीय सिस्टर अभया (Sister Abhaya)  की हत्या के सिलसिले में कैथोलिक पादरी और एक नन को बीते मंगलवार 22 दिसम्बर को दोषी पाया गया था। उनका शव 1992 में कोट्टायम के एक कान्वेंट के कुएं में मिला था। विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश जे सनल कुमार ने इस मामले में फैसला सुनाया है। वहीं बीते बुधवार को सीबीआई कोर्ट ने कैथोलिक फादर थॉमस कोट्टूर (Father Thomas Kottoor) और नन सिस्टर सेफी (Sister Sephy) को इस हत्या के लिए उम्रकैद (Life-Imprisonment) की सजा सुनाई है। 

क्या कहा अदालत ने:

अदालत ने कहा कि फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी के खिलाफ हत्या के आरोप साबित होते हैं। दोनों न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले में अन्य आरोपी फादर फूथराकयाल (Father Jose P) को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। कोट्टूर को धारा 302 के तहत उम्रकैद के साथ पांच लाख का जुर्माना भरने की सजा दी गई है। वही, सबूत मिटाने के लिए सात सालों की जेल और कॉन्वेंट में गैर-अधिकृत तरीके से घुसने के लिए भी उम्रकैद की सजा मिली है।वहीं, सिस्टर सेफी को भी धारा 302 के तहत मर्डर के लिए उम्रकैद के साथ 5 लाख जुर्माना भरने की सजा दी गई है। वहीं, सबूत मिटाने के लिए सात सालों की सजा मिली है। सिस्टर सेफी उस कॉन्वेंट का प्रभार संभालती थी, जहां सिस्टर अभया रहती थीं।

क्या थी घटना:

युवा नन के सेंट पियूस कॉन्वेंट के कुएं में से मृत मिलने के 28 साल बाद अदालत का फैसला आया है। वह कॉन्वेंट में रहती थी। अभया के माता-पिता की कुछ साल पहले मौत हो गई थी। वे अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के इंतजार में ही गुजर गए। पहले स्थानीय पुलिस और फिर अपराध शाखा ने मामले की जांच की और कहा कि यह खुदकुशी का मामला है। सीबीआई ने 2008 में मामले की जांच अपने हाथ में ली। इस मामले में सुनवाई पिछले साल 26 अगस्त को शुरू हुई और कई गवाह मुकर गए। अभियोजन के मुताबिक, अभया पर कुल्हाड़ी के हत्थे से हमला किया गया था क्योंकि वह कुछ अनैतिक गतिविधियों की गवाह थी जिसमें तीनों आरोपी शामिल थे। 

अगर पूरा विवरण जानें तो  मार्च, 1992 में कोट्टायम के एक कॉन्वेंट में 21 साल की सिस्टर अभया की तड़के सुबह हत्या कर दी गई थी क्योंकि उन्होंने थॉमस कोट्टूर, एक अन्य पादरी होज़े फूथराकयाल और सेफी के बीच अनैतिक गतिविधियों को अपनी आँखों से देख लिया था। सीबीआई (CBI) की रिपोर्ट के मुताबिक, अपराध छिपाने के लिए इन्होंने सिस्टर अभया की हत्या कर उनका शव कॉन्वेंट के ही एक कुएं में फेंक दिया गया था।

देर से ही सहीं लेकिन आया फैसला:

जहाँ पहले-पहल इस घटना को खुदकुशी बताया गया था। वहीं पुलिस और क्राइम ब्रांच ने भी अपनी जांच में यही कहा था। लेकिन इस जांच में जब बुहत सी चीजें साफ नहीं हुई तो बहुत विरोध के बाद इस केस को सीबीआई (CBI) को दे दिया गया। लेकिन यह भी परसंगिक है कि खुद कोर्ट ने भी सीबीआई (CBI) की तीन फाइनल रिपोर्ट को नकार दिया था। क्योंकि कोर्ट फिर भी जांच के कई पॉइंट्स पर संतुष्ट नहीं थी। जब सीबीआई (CBI) की आखिरी रिपोर्ट आयी तो इसे परख के कोर्ट ने दोनों आरोपियों को हत्या का दोषी माना और उन्हें उम्रकैद की सजा भी सुनाई है। वहीं इस मामले में दूसरे पादरी फूथराकयाल पिछले साल ही बरी हो गए थे।