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नई दिल्ली. आज विश्व के महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग (Stephen Hawking) कि पांचवी पुण्यतिथि है। जी हां आज ही के दिन यानी 14 मार्च 2018 को 76 साल की उम्र में हॉकिंग ने दुनिया को अलविदा कहा था। 

जानकारी दें कि, स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 कौ इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में हुआ था। देखा जाए तो बचपन से ही उनकी चाहत ब्रह्मांड के बारे में जानने की थी। फिर 21 साल की उम्र में स्टीफन हॉकिंग को न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी हुई थी। जिसके चलते वे व्हीलचेयर पर आ गए। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी अपनी हिम्मत नहीं हारी। 

‘न्यूरोडीजेनेरेटिव’ बीमारी से नहीं मानी हार 

इसी खतरनाक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी के चलते बाद में उनकी आवाज चली गई थी, लेकिन स्टीफन हॉकिंग कहां हार मानने वालों में से थे,। वे अब स्पीच-जनरेटिंग डिवाइस के जरिए लोगों से बात करते थे। अपने विलक्षण बौद्धिक क्षमता और प्रतिभा से उन्होंने दुनिया को कई सिद्धांतों के बारे में बताया और समझाया। स्टीफन हॉकिंग ने अपने अथक मेहनत और रिसर्च के माध्यम से ब्रह्माण्ड के कई रहस्यों से पर्दा उठाया है जिनमें ‘बिग बैंग’ और ब्लैक होल समेत कई बड़ी और ख़ास थ्योरी शामिल हैं। 

दुनिया को बताया ‘ब्लैक होल’ के बारे में 

इसके पहले ब्लैक होल के बारे में दुनिया के पास ऐसे कोई ख़ास बड़ी जानकारी नहीं थी, लेकिन स्टीफन हॉकिंग ने इस रहस्यमयी पिंड के रहस्य से पर्दा उठाया। पहले ब्लैक होल की खोज साल 1971 में की गई थी। 

इसके बाद स्टीफन हॉकिंग ने साल 1974 में दुनिया को ‘ब्लैक होल’ थ्योरी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस बात से भी दुनिया को अवगत कराया कि, क्वॉन्टम प्रभावों के चलते ब्लैक होल गर्मी और उष्णता भी फैलाते हैं। इसके बाद उनको कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में गणित का प्रोफसर नियुक्त किया गया। 

‘अ ब्रीफ हिस्ट्ररी ऑफ टाइम’ 

फिर साल 1998 में स्टीफन हॉकिंग की किताब ‘अ ब्रीफ हिस्ट्ररी ऑफ टाइम’ प्रकाशित हुई। इस किताब में उन्होंने बिग बैंग थ्योरी और ब्लैक होल को बड़े ही आसान तरीके से बताया है। इसको अब एक आम पाठक भी आसानी से समझ सकता था। अपनी इस किताब के लिए स्टीफन हॉकिंग को अनेकों लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा था। उन्होंने इस किताब में कहा था कि, ईश्वर नहीं हैं। 

इतना ही नहीं स्टीफन हॉकिंग ने इस बात कि भी पुरजोर चेतवानी देते हुए कहा था कि, पृथ्वी पर बहुत तेजी से आबादी बढ़ रही है और ऊर्जा की खपत हो रही है। वहीं अगर ऐसा ही रहा तो अगले 600 सालों में धरती एक आग का गोला बन जाएगी।

दी बड़ी ‘चेतावनी’ 

साथ ही वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने दूसरे ग्रह पर जीवन की पुरजोर वकालत की थी। उनका साफ़ मत था कि, दूसरे ग्रह पर जीवन को बसाना होगा और अगर ऐसा नहीं हुआ तो जलवायु परिवर्तन और मनुष्यों के विनाशकारी कार्यों के चलते इंसानी सभ्यता का अंत होना लगभग तय है।

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