jammu-kashmir

Loading

नई दिल्ली/श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में बदलाव की बयार तेज चल रही है, अब तो  जेल में बंद अलगाववादी शब्बीर अहमद शाह (Shabbir Ahmad Shah) की बेटी समा शब्बीर (Sama Shabbir) और पाकिस्तान समर्थक दिवंगत सैयद अली शाह गिलानी (Sayyed Ali Shah Gilani) की नातिन रुवा शाह (Ruwa Shah) ने भी खुद को अपने ही परिवारवालों की अलगाववादी विचारधारा से अलग कर लिया है और भारत की संप्रभुता के प्रति अपनी निष्ठा की पुरी जोरशोर से घोषणा की है। जी हां, यहाँ के स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित एक जैसे सार्वजनिक नोटिस में, उन्होंने खुद को अलगाववादी राजनीति से अपने को दूर कर लिया है।

गिलानी की विचारधारा से उनके परिवार की तौबा 

जानकारी के अनुसार, गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश की बेटी रुवा शाह ने बाकायदा एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर खुद को उनके दिवंगत दादा द्वारा स्थापित हुर्रियत कॉन्फ्रेंस गुट से पूरी तरह से अलग कर लिया है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी घोषणा की है कि, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की विचारधारा के प्रति उनका कोई झुकाव या सहानुभूति नहीं है। रुवा ने नोटिस में कहा, “मैं भारत की एक वफादार नागरिक हूं और ऐसे किसी संगठन या संघ से संबद्ध नहीं हूं जिसका भारत संघ के खिलाफ एजेंडा है और मैं अपने देश (भारत) के संविधान के प्रति निष्ठा रखती हूं।”

शब्बीर अहमद शाह की बेटी भी हुई अपने पिता के रास्ते से अलग 

इसी तर्ज पर जेल में बंद अलगाववादी शब्बीर अहमद शाह की बेटी समा शब्बीर ने भारत की संप्रभुता के प्रति अपनी निष्ठा की घोषणा करते हुए बीते गुरुवार को अपने पिता की डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी (DFP) से खुद को अलग कर लिया है। दरअसल 23 वर्षीय समा जम्मू कश्मीर में CBSE की पूर्व टॉपर रही हैं। उन्होंने भी  रुवा शाह की तर्ज पर साफ़ कहा कि, वह एक निष्ठावान भारतीय नागरिक हैं और स्पष्ट रूप से अपने पिता द्वारा स्थापित प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन से ताल्लुक नहीं है। पता हो कि, फिलहाल शब्बीर मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के आरोप में तिहाड़ जेल में कैद है।

इस बाबत शाह की बड़ी बेटी समा ने नोटिस में कहा, “मैं भारत की एक वफादार नागरिक हूं और मैं ऐसे किसी भी व्यक्ति या संगठन से संबद्ध नहीं हूं जो भारत संघ की संप्रभुता के खिलाफ है।” समा शब्बीर ने कहा, “मैं किसी भी तरह से DFP या इसकी विचारधारा से जुड़ी नहीं हूं।” उन्होंने चेतावनी दी कि बिना अनुमति के उन्हें अलगाववादी समूह से जोड़ने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

यह भी बताते चलें कि, साल 2005 में एक कथित हवाला डीलर मोहम्मद असलम वानी को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पर्याप्त मात्रा में नकदी के साथ पकड़ा था, जो कथित तौर पर शाह के लिए भेजी गई थी। इस केस में फिर समा को साल 2019 में ED ने तलब किया था, लेकिन वह उस समय पेश नहीं हुईं क्योंकि वह यूनाइटेड किंगडम में अपनी कानून की पढ़ाई कर रही थीं।