पीएम मोदी (Photo Credits-ANI Twitter)
पीएम मोदी (Photo Credits-ANI Twitter)

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    नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को युवाओं का आह्वान किया कि वह विभिन्न भारतीय भाषाओं में लोकप्रिय गीतों का वीडियो बनाएं। इससे ना सिर्फ वह लोकप्रिय होंगे बल्कि इससे देश की विविधताओं से वह नयी पीढ़ी का परिचय भी करा सकेंगे। आकाशवाणी के अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘‘मन की बात” की ताजा कड़ी में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की आजादी के 75 सालों बाद भी कुछ लोग ऐसे मानसिक द्वन्द में जी रहे हैं, जिसके कारण उन्हें अपनी भाषा, अपने पहनावे, अपने खान-पान को लेकर एक संकोच होता है, जबकि, विश्व में कहीं और ऐसा नहीं है।

    उन्होंने कहा कि हर किसी की अपनी मातृभाषा है और हर किसी को गर्व के साथ उसे बोलना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि चोरी करके ले जाई गई 200 से अधिक बहुमूल्य प्रतिमाओं और धरोहरों को पिछले सात सालों में विभिन्न देशों से वापस लाया गया है और यह सफलता भारत के प्रति बदल रहे वैश्विक नजरिए का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा, ‘‘साल 2013 तक करीब-करीब 13 प्रतिमाएं भारत आयी थीं लेकिन पिछले सात सालों में 200 से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को, भारत, सफलता के साथ वापस ला चुका है।”  

    प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की जब कोई बहुमूल्य धरोहर वापस मिलती है तो एक हिन्दुस्तानी के नाते सभी को संतोष मिलना बहुत स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों के देश के इतिहास में एक-से-बढ़कर एक मूर्तियां हमेशा बनती रहीं और हर मूर्ति के इतिहास में तत्कालीन समय का प्रभाव भी नजर आता है। उन्होंने कहा कि यह धरोहर भारत की मूर्तिकला का नायाब उदाहरण तो हैं ही, भारतीयों की आस्था से भी जुड़ी थीं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, अतीत में बहुत सारी मूर्तियां चोरी होकर भारत से बाहर जाती रहीं। कभी इस देश में, तो कभी उस देश में ये मूर्तियां बेचीं जाती रहीं और उनके लिए वो तो सिर्फ कलाकृति थी। न उनको उसके इतिहास से लेना देना था, न श्रद्धा से लेना देना था।”

    उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के वेल्लूर से चोरी हुई 600 से 700 साल पुरानी भगवान आंजनेय्यर की मूर्ति इसी महीने ऑस्ट्रेलिया से प्राप्त हुई है। इसी प्रकार बिहार के गया के एक मंदिर से चोरी हुई अवलोकितेश्वर पद्मपाणि की हजार साल से भी ज्यादा पुरानी मूर्ति इटली से लाई गई है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इन मूर्तियों को वापस लाना, भारत मां के प्रति हमारा दायित्व है। इन मूर्तियों में भारत की आत्मा का, आस्था का अंश है और इनका एक सांस्कृतिक-ऐतिहासिक महत्व भी है। इस दायित्व को समझते हुए भारत ने अपने प्रयास बढ़ाए। इसके कारण चोरी करने की प्रवृति वालों में एक भय भी पैदा हुआ है।”

    उन्होंने कहा कि जिन देशों में ये मूर्तियां चोरी करके ले जाई गईं थीं, अब उन्हें भी लगने लगा कि भारत के साथ रिश्तों में ‘‘सॉफ्ट पावर” का जो कूटनीतिक चैनल होता है, उसमें इसका भी बहुत बड़ा महत्व हो सकता है। मोदी ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, हॉलैंड, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, सिंगापुर, ऐसे कितने ही देशों ने भारत की इस भावना को समझा है और मूर्तियां वापस लाने में हमारी मदद की है। उन्होंने कहा, ‘‘अभी आपने कुछ दिन पहले देखा होगा, काशी से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा भी वापस लाई गई थी। यह भारत के प्रति बदल रहे वैश्विक नजरिये का ही उदाहरण है।”

    कुछ दिन पहले ही मनाए गए अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने तंजानिया के भाई-बहन किली पॉल और नीमा की चर्चा की और कहा कि दोनों ने लता मंगेश्कर का एक गाना गाकर उन्हें अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि इस अद्भुत रचनात्मकता के लिए दोनों भाई-बहनों को कुछ दिन पहले ही तंजानिया में भारतीय दूतावास में सम्मानित भी किया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय संगीत का जादू ही कुछ ऐसा है, जो सबको मोह लेता है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं देश के नौजवानों से आह्वान करता हूं कि वह भारतीय भाषाओं के प्रचलित गीतों का अपने तरीके से वीडियो बनाएं। इससे वह खुद भी लोकप्रिय हो सकते हैं और नयी पीढ़ी को देश की विविधताओं से अवगत भी कर सकते हैं।”

    प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कोहिमा तक सैकड़ों भाषाएं, हजारों बोलियां एक दूसरे से अलग लेकिन एक दूसरे में रची-बसी हुई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भाषाएं अनेक हैं लेकिन भाव एक है। सदियों से हमारी भाषाएं एक दूसरे से सीखते हुए खुद को परिष्कृत करती रही हैं। भारत में विश्व की सबसे पुरानी भाषा तमिल है और इस बात का हर भारतीय को गर्व होना चाहिए कि दुनिया की इतनी बड़ी विरासत हमारे पास है।” उन्होंने कहा कि जितनी कई यूरोपीय देशों की कुल जनसंख्या नहीं है, उससे ज्यादा लोग हमारे यहां अलग-अलग 14 भाषाओं से जुड़े हुए हैं।

    मोदी ने कहा, ‘‘साल 2019 में हिन्दी, दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे क्रमांक पर थी। इस बात का भी हर भारतीय को गर्व होना चाहिए। भाषा, केवल अभिव्यक्ति का ही माध्यम नहीं है, बल्कि, भाषा, समाज की संस्कृति और विरासत को भी सहेजने का काम करती है।” उन्होंने कहा कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाई पर जोर दिया गया है और पेशेवर पाठ्यक्रमों को भी क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने हर क्षेत्र में मोर्चा संभालने के लिए देश की महिलाओं की सराहना की और कहा कि महिलाएं विभिन्‍न क्षेत्रों में नयी उंचाइयों पर पहुंच रही हैं और पुराने मिथकों को तोड़ रही हैं।

    उन्होंने कहा, ‘‘देश की बेटियां सेना में नयी और बड़ी भूमिकाओं में जिम्‍मेदारी निभा रही हैं। सरकार ने सैनिक स्‍कूलों में लड़कियों के दाखिले पर रोक हटाई है। देश में करीब आधे स्‍टार्टअप में महिलाएं निदेशक की भूमिका में हैं।” उन्होंने कहा कि देश आज बेटे और बेटियों को समान अधिकार देते हुए विवाह की उम्र समान करने के लिए प्रयास कर रहा है और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं की सफलता से देश में लड़के-लड़कियों के अनुपात में सुधार हुआ है। (एजेंसी)