इसलिए हो रही है ओम प्रकाश राजभर व दारा सिंह चौहान को मंत्री बनाने में देरी..!

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार में कुछ नए कैबिनेट मंत्रियों के शामिल होने की कवायद पिछले महीने से जारी है। पहले ऐसी चर्चा थी कि ये फेर बदल नवरात्रि के आसपास हो जाएगा, लेकिन अब इसे दीपावली तक डाल दिया गया है। ऐसे मंत्रिमंडल में शामिल होने की आस लगाए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) और समाजवादी पार्टी को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए दारा सिंह चौहान को अभी और इंतजार करना पड़ेगा। हालांकि इस बात की चर्चा है कि योगी आदित्यनाथ ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृह मंत्री कम अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात के दौरान इस बारे में चर्चा की थी।

उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा के चुनाव के मद्देनजर जातिगत समीकरण साधने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक बार फिर से जहां सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर को कैबिनेट में शामिल करने की तैयारी कर रही है। वहीं चौहान समाज के नेता के रूप में चर्चित दारा सिंह चौहान (Dara Singh Chauhan) को भी कैबिनेट में जगह मिलने की संभावना है। दारा सिंह चौहान समाजवादी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में आ गए थे और मऊ की घोषी विधानसभा सीट से उपचुनाव भी लड़ा था। लेकिन वे समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी से हार गए थे। इसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी उनको तवज्जो देना चाहती है और मंत्रिमंडल में शामिल करके उनके समाज के वोटों पर अपनी नजर गड़ाए हुए है। 

ओमप्रकाश राजभर

राजनीतिक विश्लेषक व वरिष्ठ पत्रकार राजीव ओझा का कहना है कि 2019 में अल्पसंख्यक वोटों के रुझान से भाजपा उत्साहित थी, लेकिन सारे दलों के एकजुट होने व जातीय जनगणना का कार्ड खेले जाने के बाद भाजपा फिर से कुछ चीजों पर मंथन कर रही है। इसीलिए मंत्रिमंडल का विस्तार भी टल गया है। अब इसकी संभावना 3 दिसंबर को 5 राज्यों की मतगणना के बाद ही होने की संभावना दिख रही है। इन 5 राज्यों के परिणाम के बाद भाजपा इनको फिर से मंत्री बनाने के बारे में सोचेगी। अन्यथा कोई और रणनीति भी बना सकती है। 

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर व समाजवादी पार्टी को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में आए दारा सिंह चौहान के पास और कोई चारा नहीं है। भाजपा अब इनका उपयोग अपने हिसाब से करेगी। दोनों नेताओं के राजनीतिक बैकग्राउंड से भाजपा का आलाकमान भलीभांति परिचित है। वह जल्दबाजी दिखाने के मूड में नहीं है। हो सकता है कि सब कुछ ठीक रहे तो इन दोनों नेताओं को दिसंबर के महीने में मंत्री बनने का मौका मिले।

वरिष्ठ पत्रकार राजीव ओझा

 

एक दो और नेताओं की लग सकती है लॉटरी

इन दोनों नेताओं के कैबिनेट में शामिल होने की चर्चा विधानसभा उपचुनाव के बाद से ही चल रही थी, लेकिन पार्टी के अंदर सैद्धांतिक रूप से कोई सहमति नहीं बन पा रही थी। एक ओर जहां विपक्षी दल के द्वारा जातीय जनगणना के मुद्दे को हवा देने की कोशिश हो रही है, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी पिछड़े वर्ग के वोटों में सेंध लगाने के लिए चिंतित है। ऐसे में राजभर और नोनिया चौहान समाज के लोगों को साधने के लिए ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान को मंत्री बनने पर चर्चा शुरू हुई है, ताकि पार्टी सूबे में एक अलग तरह का संदेश दे सके। इसके अलावा एक-दो और लोगों को मंत्री बनाने की बात कही जा रही है। 

इन सीटों पर पड़ेगा फर्क

ऐसा माना जा रहा है कि सुहेलदेव भारती समाज पार्टी के एनडीए में शामिल होने के बाद भारतीय जनता पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ा लाभ होगा और राजभर समाज का ज्यादा असर पूर्वांचल की सीटों पर होगा। राजभर मतदाताओं का असर वाराणसी, गोरखपुर, आजमगढ़ और देवीपाटन मंडल में देखने को मिलता है। कहा जाता है कि पूर्वांचल के 16 से ज्यादा जिलों में राजभर समाज का दबदबा है और इनका वोट लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव में हार जीत पर असर डालता है।

दारा सिंह चौहान

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ओमप्रकाश राजभर के भारतीय जनता पार्टी के साथ आने पर उत्तर प्रदेश की 18 लोकसभा सीटों पर असर दिखेगा। 2019 के चुनाव की बात करें तो पूर्वांचल की ज्यादातर सीटें ऐसी थीं, जहां पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 10 से लेकर 40 तक वोट मिले थे, जिसमें गाजीपुर में 35,877, बलिया में 35,900, सलेमपुर में 33,568, घोसी में 39,860, लालगंज में 17,927 और चंदौली में 18,985, आजमगढ़ में 10,078, बस्ती में 11,971 वोट मिले थे। इसके अलावा कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां राजभर समाज के लोगों को 10 हजार के आसपास वोट मिले थे। उसमें जौनपुर, रावर्टसगंज, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर और वाराणसी संसदीय सीट शामिल है।

धैर्य को आजमा रही है भाजपा

इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक व स्वतंत्र पत्रकार एस. हनुमंत राव का कहना है कि प्रदेश में पूर्वांचल व अवध की 18 लोकसभा सीटों पर 10 हजार से लेकर 40 हजार के वोट बैंक पर भाजपा की नजर है। इसी वजह से भाजपा ओमप्रकाश राजभर के वोटों को अपने साथ लेना चाहती है। हालांकि ओमप्रकाश राजभर भी सत्ता सुख के लिए छटपटा रहे हैं, लेकिन भाजपा उनको मंत्री बनाने में थोड़ा वक्त ले रही है और उनके धैर्य को आजमा रही है।

प्रदेश में पूर्वांचल व अवध की लोकसभा की सीटों को आसानी से जीतने में भाजपा के लिए ये दोनों नेता कितने मददगार साबित होंगे ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन लोकसभा सीटों पर 10 हजार से लेकर 50 हजार के वोट बैंक को भाजपा नकारना नहीं चाहेगी। इसी वजह से भाजपा ओमप्रकाश राजभर के वोटों को अपने साथ लोकसभा चुनाव के पहले लेना चाहती है। हालांकि ओमप्रकाश राजभर अमित शाह से मंत्री बनने का आश्वासन बहुत पहले ले चुके हैं, लेकिन अभी भी उनको कुछ खास वजहों से लटकाया जा रहा है। एक बार ओम प्रकाश राजभर से झटका खा चुकी भाजपा दोबारा हर कदम फूंक-फूंक कर रखना चाह रही है।

स्वतंत्र पत्रकार एस. हनुमंत राव