जगन्नाथ मंदिर
जगन्नाथ मंदिर

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    नई दिल्ली: भारत देश आध्यात्मिक मान्यताओं से भरा पूरा है। आज भी ऐसा कहा जाता है की भगवान हमारे समीप है। हमारे देश में ऐसे कई पावन स्थल है जहां भगवान का आज भी वास होता है। जैसा की आपको पता है,  भगवान कृष्ण (Lord Krishna) ने अपने जीवन का सबसे ज्यादा समय मथुरा, द्वारका में बिताया। यहां की गली-गली से उनकी लीलाएं जुड़ी हुई हैं, लेकिन शायद आपको एक जगह नहीं पता हों। मथुरा के  अलावा एक जगह ऐसी भी है जहां कृष्ण का दिल आज भी मौजूद है।

    इस मंदिर से जुड़ी कृष्ण लीलाएं सोचने पर मजबूर करती हैं। पुरी (Puri) के इस जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) में भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा के साथ मौजूद भगवान कृष्ण से जुड़े रहस्‍य समझ से परे हैं। यहा भगवान से जुड़े अनेक लिलायें होती है, जिसके बारें में शायद हम सोच भी नहीं सकते।

    मंदिर में धड़कता है आज भी भगवान कृष्ण का दिल

    file photo

    आज भी ऐसा कहां जाता है कि जब भगवान कृष्ण ने देह त्याग किया, तो अंतिम संस्कार के बाद उनका पूरा शरीर तो पंचतत्व में विलीन हो गया, लेकिन दिल सामान्य इंसान की तरह धड़कता रहा। यह आज भी जगन्नाथ मंदिर की मूर्ति में मौजूद है।

    12 साल में बदली जाती है मूर्ति

    भगवान के इस हृदय अंश को ब्रह्म पदार्थ कहा जाता है। प्रत्येक 12 साल में जब जगन्नाथ जी की मूर्ति बदली जाती है, तो इस ब्रह्म पदार्थ को पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में रख दिया जाता है। हालांकि, ऐसा करते समय बहुत सावधानी बरती जाती है। यह असाधारण कार्य बढ़े सूझबूझ के साथ मंदिर के पुजारी करते है।

    ब्‍लैक आउट होता है पूरा

    शहर ब्रह्म पदार्थ को नई मूर्ति में रखने के दिन पूरे पुरी शहर में ब्लैक आउट कर दिया जाता है। पूरे शहर में कहीं भी एक दीया भी नहीं जलाया जाता है।  इस दौरान मंदिर परिसर को सीआरपीएफ घेर लेती है। यहां तक की मूर्ति बदलते समय पुजारी की आंखों पर भी पट्टी बांध दी जाती है। इस प्रक्रिया को आज तक किसी ने नहीं देखा है।  मान्‍यता है कि यदि इसे कोई देख ले तो उसकी तत्काल मृत्यु हो जाएगी। जानकारी के मुताबिक ब्रह्म पदार्थ को पुरानी से नई मूर्ति में रखने वाले पुजारियों का कहना है कि ब्रह्म पदार्थ हाथों में उछलता से महसूस होता है, जैसे कोई जीवित खरगोश हो।

    हवा भी बदलते है अपना रास्ता

    इस मंदिर के बारे में ऐसी बात सामने आयी है, जिसे सुनकर हम बस इसे भगवान श्रीकृष्ण की लीला कह सकते हैं। मंदिर से जुड़े रहस्य चमत्कारी हैं। इस मंदिर के सामने आकर हवा का रुख बदल जाता है, ताकि करीब में हिलोरे लेते समुद्र की लहरों की आवाज मंदिर के अंदर न जा सके। प्रवेश द्वार से एक कदम अंदर रखते ही समुद्र की आवाज सुनाई देना बंद हो जाती है। इतना ही नहीं मंदिर का रोजाना बदला जाने वाला ध्‍वज भी हमेशा हवा से उल्टी दिशा में लहराता है। इससे धार्मिक मान्यताओं के आधार पर यह कहा जाता है कि आज भी भगवान धरती पर है।

    मंदिर के ऊपर से नहीं उड़ते हवाई जहाज

      इस मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर उड़ाने की अनुमति नहीं है क्योंकि मंदिर के ऊपर कभी भी पक्षी उड़ते नहीं दिखाई दिए। इसके अलावा सूर्य किसी भी दिशा में रहे मंदिर की परछाई आज तक किसी ने नहीं देखी।