Chaitra Navratri 2024, Havan Puja
नवमी या अष्टमी पर हवन पूजा करें (Social Media)

आज चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि है तो वहीं पर रामनवमी का भी संयोग है ऐसे मौके पर आज पूजन करने और हवन का विधान होता है।

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सीमा कुमारी

नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क:
सनातन धर्म (Hindu Religion) में नवरात्रि पर्व का अपना एक अलग ही महत्व है। इस दौरान भक्त कठिन नियमों के साथ मां की पूजा करते हैं। यह नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है। जिसमें मां दुर्गा (Maa Durga) के नौ रूपों की पूजा का विधान है। वहीं, नवरात्रि के दिनों में हर दिन हवन करना शुभ माना जाता है। अष्टमी और नवमी (Ashtami and Navami) पर हवन विशेष माना गया है। हवन करते समय उसमें इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्री जरूर होनी चाहिए। साथ ही हवन मंत्र भी जरूर करें। इससे मां दुर्गा की विशेष कृपा होती है। साथ ही ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानें ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से नवरात्रि हवन की विधि और सामग्री के बारे में-

जानिए आसान पूजा विधि

ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, हवन से प्रसन्न होकर मां दुर्गा भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। यदि आप किसी मंदिर में जाकर हवन नहीं करना चाहते हैं तो अपने घर पर हवन कर सकते हैं। इसकी पूजा विधि बहुत आसान होती है।

किसी साफ जगह पर हवन कुंड का निर्माण करना चाहिए। हवन के कुंड में आम के पेड़ की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें। हवन कुंड में सभी देवी-देवताओं के नाम की आहुति देना चाहिए।

धार्मिक मान्यता के अनुसार कम से कम 108 बार आहुति देना चाहिए। इसके बाद हवन मंत्र भी बोलना जरूरी है। साथ ही इसकी पूजा सामग्री में कोई कमी नहीं होना चाहिए।

हवन सामग्री

लोहे का एक हवन कुंड, एक सूखा नारियल, काला तिल, कपूर, चावल, जौ, गाय का घी, लोभान, शक्कर, गुग्गल, आम, चंदन, नीम, बेल एवं पीपल की सूखी लकड़ी, इलायची, लौंग, पलाश और गूलर की छाल, मुलैठी की जड़, अश्वगंधा, ब्राह्मी, कलावा या रक्षासूत्र, हवन पुस्तिका, हवन सामग्री, धूप, अगरबत्ती, रोली, पान के पत्ते, मिष्ठान, 5 प्रकार के फल, गंगाजल, चरणामृत, शहद, सुपारी, फूलों की माला आदि।

नवरात्रि हवन की विधि

1- आपके घर दुर्गा अष्टमी या महानवमी को, जिस भी दिन हवन होता है, उस दिन प्रात: मां दुर्गा के महागौरी या सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा करें। उसके बाद नवरात्रि का हवन करें। हवन के बाद आरती से समापन होता है। पूजा स्थान पर या घर के आंगन में हवन की व्यवस्था करें। एक वेदी बनाकर वहां पर हवन कुंड रखें। उसके बाद सभी हवन सामग्री जैसे काला तिल, चावल, जौ, गाय का घी, लोभान, गुग्गल, कपूर, पलाश और गूलर की छाल, मुलैठी की जड़, अश्वगंधा, ब्राह्मी आदि को मिलाकर रख लें।

2- अब आप एक आसन पर बैठ जाएं और अपने सिर पर रुमाल रख लें। हवन कुंड में सबसे नीचे गोबर की उप्पलें और कपूर रख दें। फिर आम, चंदन, नीम, बेल एवं पीपल की सूखी लकड़ियां रखें। फिर कपूर और उप्पलों की मदद से हवन की अग्नि को जलाएं। उसके बाद मंत्र पढ़ते हुए क्रमश: हवन सामग्री की आहुति दें।

3- सबसे अंत में सूखे नारियल पर रक्षा सूत्र लपेट दें। उस पर पान का पत्ता, पूड़ी, खीर, मिठाई, फल, सुपारी, लौंग आदि रखें। अब नारियल समेत सभी सामग्री को हवन के बीचोबीच स्थापित कर दें। अब सबसे अंत में मां दुर्गा की आरती करें।