प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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    -सीमा कुमारी

    फाल्गुन का महीना खुशियों और उल्लास का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि, फाल्गुन महीना ग्रीष्म ऋतु, यानी गर्मी के आगमन का संकेत देता है। इस साल ‘फाल्गुन महीना’ 17 फरवरी से आरंभ होकर 18 मार्च तक रहेगा।

    इस पावन महीना का न सिर्फ धार्मिक-आध्यात्मिक, बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है, जो कि हमें कठिन से कठिन परिस्थितियों के बीच सकारात्मक रहने का संदेश देता है। आइए, इस पावन फाल्गुन मास में किस पूजा और दान से हमारा कल्याण होता है जानें –

    फाल्गुन मास के प्रमुख पर्व

    • विजया एकादशी:  26 फरवरी 2022
    • महाशिवरात्रि: 01 मार्च 2022
    • फाल्गुन अमावस्या: 02 मार्च 2022
    • फुलैरा दूज: 04 मार्च 2022
    • आमलकी एकादशी: 14 मार्च 2022
    • होलिका दहन: 17 मार्च 2022
    • होली: 18 मार्च 2022

    धार्मिक महत्व

    फाल्गुन मास में भगवान विष्णु और शिव दोनों की साधना से जुड़े दो बड़े पर्व आते हैं। ‘फाल्गुन मास’ (Falgun Maas) के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन जहां ‘महाशिवरात्रि’ का पर्व आता है। जिसमें भगवान शिव की पूजा रात्रि के समय एक बार या चार बार की जा सकती है।

    रात्रि के चार प्रहर होते हैं, और हर प्रहर में शिव पूजा की जा सकती है। इसी प्रकार फाल्गुन शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाने वाली ‘आमलकी एकादशी’ का व्रत आता है। फाल्गुन मास में दान का भी बहुत  अधिक महत्व है। इस महीने में अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों को दान और पितरों के निमित्त तर्पण आदि अवश्य करना चाहिए। फाल्‍गुन मास में शुद्ध घी, तिल, सरसों का तेल, मौसमी फल आदि का दान अत्यंत ही पुण्य फल प्रदान करने वाला माना गया है। फाल्गुन मास में भगवान कृष्ण की साधना-आराधना का विशेष महत्व है।  

    इस मास में भगवान कृष्ण के तीन स्वरूप- बाल कृष्ण, युवा कृष्ण और गुरू कृष्ण की पूजा की जा सकती है। ऐसे में जिन लोगों की संतान सुख की चाह है, उन्हें बाल कृष्ण की और जिन्हें दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य की चाह है, उन्हें युवा कृष्ण की और जिन्हें जीवन में मोक्ष और वैराग्य की तलाश है, उन्हें गुरू कृष्ण की साधना करनी चाहिए।