Maha Shivratri 2022
File Photo

    Loading

    -सीमा कुमारी

    संपूर्ण भारत में हर साल ‘महशिवरात्रि’ का त्योहार बड़ी ही धूमधाम एवं हर्षोल्लाष के साथ   मनाया जाता है। इस साल ‘महाशिवरात्रि’ (Mahashivratri) का पावन त्योहार 1 मार्च, यानी मंगलवार को देशभर में मनाया जाएगा। शास्त्रों में ‘महाशिवरात्रि’ की महिमा अपरंपार है। कहते हैं कि, इस दिन व्रत करके देवों के देव महादेव को प्रसन्न किया जाता है। ‘महाशिवरात्रि’ के दिन देश में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों की छटा भी अलग ही होती हैं। शिवजी के धामों में ज्योतिर्लिंगों का महत्व बहुत ही अधिक है।

    देश में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जिन्हें भगवान शिव की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि, इन 12 जगहों पर भगवान शिव ने खुद दर्शन दिए हैं। इसलिए इनकी महिमा इतनी ज्यादा है कि इनके दर्शन मात्र से ही लोगों के सभी काम बन जाते हैं।  

    इस ‘महाशिवरात्रि’ के शुभ अवसर पर अगर आप 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना चाहते हैं, तो सबसे पहले जान लीजिए कि ज्योतिर्लिंग कहां-कहां हैं और इन ज्योतिर्लिंगों की क्या विशेषताएं हैं।

    भारत का सबसे पहला प्रसिद्ध और बड़ा ज्योतिर्लिंग है ‘सोमनाथ का मंदिर’। गुजरात में स्थित सोमनाथ भक्तों की श्रद्धा का केंद्र हैं। सोमनाथ का मतलब है सोम के नाथ।  

    ‘शिव पुराण’ के अनुसार, जब चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था तब इसी स्थान पर उन्होंने शिव जी की पूजा और तप किया। शिवजी ने ही चन्द्रमा को श्राप से मुक्ति दिलाई। ऐसी मान्यता है कि, स्वयं चंद्र देव ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।

    दूसरा ज्योर्तिलिंग में आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। इस ज्योर्तिलिंग को ‘मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग’ के नाम से जाना जाता है।

    तीसरा ज्योर्तिलिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। इस ज्योर्तिलिंग को ‘महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग’ के नाम से जाना जाता है। इस ज्योर्तिलिंग का विशेष महत्व है। यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योर्तिलिंग है।

    चौथा ज्योर्तिलिंग मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है। यह ज्योर्तिलिंग नर्मदा नदी के पास में है। इस ज्योर्तिलिंग को ‘ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग’ के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर पहाड़ी के चारों ओर नदी बहती है और ‘ऊॅं’ का आकार बनता है।

    पाचवां ज्योर्तिलिंग झारखंड में स्थित है। इस ज्योर्तिलिंग को ‘वैद्यनाथ ज्योर्तिलिंग’ के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस स्थान पर यह ज्योर्तिलिंग स्थित है उसे ‘चिताभूमि’ भी कहा जाता है।

    छठा ज्योर्तिलिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। इस ज्योर्तिलिंग को ‘भीमशंकर ज्योर्तिलिंग’ के नाम से जाना जाता है।

    सातवां ज्योर्तिलिंग तमिलनाडु के रामनाथम में स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस ज्योर्तिलिंग की स्थापना स्वयं भगवान श्री राम ने की थी। इस ज्योर्तिलिंग को ‘रामेश्वरम् ज्योर्तिलिंग’ के नाम से जाना जाता है।

    आठवां ज्योर्तिलिंग गुजरात में बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के पास में स्थित है। इस ज्योर्तिलिंग को ‘नागेश्वर ज्योर्तिलिंग’ के नाम से जाना जाता है।

    नवां ज्योर्तिलिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है। इस ज्योर्तिलिंग को ‘बाबा विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग’ के नाम से जाना जाता है।

    दसवां ज्योर्तिलिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। इस ज्योर्तिलिंग को ‘त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग’ के नाम से जाना जाता है।

    ग्यारहवां ज्योर्तिलिंग उत्तराखंड में है। इस ज्योर्तिलिंग को ‘केदारनाथ ज्योर्तिलिंग’ के नाम से जाना जाता है। यह ज्योर्तिलिंग ‘केदार’ नामक चोटी पर स्थित है। ‘केदारनाथ ज्योर्तिलिंग’ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

    बारहवां ज्योर्तिलिंग महाराष्ट्र में स्थित है। यह अंतिम ज्योर्तिलिंग है। इस ज्योर्तिलिंग को ‘घुश्मेश्वर ज्योर्तिलिंग’ के नाम से भी जाना जाता है। जिस स्थान पर यह ज्योर्तिलिंग स्थित है, उसे ‘शिवालय’ के नाम से भी जाना जाता है।