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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के विवाह के उत्सव का पर्व ‘महाशिवरात्रि’ 1 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन विधिवत आदिदेव महादेव की पूजा -अर्चना करने से श्रद्धालुओं के सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, और कष्टों का भी निवारण होता है। लेकिन,’महाशिवरात्रि’ पर यदि श्रद्धालु बेलपत्र से भगवान शिव की विशेष पूजा करें तो उनके धन संबंधी दिक्कतें भी दूर हो सकती है। मान्यता है कि, भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित करते समय अगर इन प्रभावशाली मंत्रों का जाप किया जाए, तो धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल सकती है। आइए जानें इस बारे में –

    पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव पर बेलपत्र चढ़ाए जाने के पीछे एक कथा है जो माता पार्वती से जुड़ी हुई है। कहते हैं, भगवान शिव को पति रूप में पाने हेतु माता पार्वती ने कठोर तपस्या की थी। उन्होंने भगवान शिव के लिए कई व्रत किए थे। एक बार भगवान शिव बेल के वृक्ष के नीचे तपस्या कर रहे थे कई व्रत भी शिवजी को पाने के लिए माता पार्वती ने किए थे। एक दिन भगवान शिव जंगल में बेलपत्र के वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या कर रहें थे।

    माता पार्वती जब शिवजी की पूजा के लिए सामग्री लाना भूल गई तो उन्होने नीचे गिरे हुए बेलपत्र से शिवजी को पूरी तरह ढक दिया। जिससे शिवजी अत्यधिक प्रसन्न हुए। तब से भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाया जाने लगा और माता पार्वती जब भी शिवजी की पूजा करती तो वे शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना बिल्कुल नही भूलती।

    कहते हैं कि भोलेनाथ बहुत ही दयालु है। वे थोड़ी सी भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन, भोलेशंकर की पूजा के दौरान उन्हें बेलपत्र अर्पित करने से उनकी आर्थिक समस्या दूर हो जाती है। इसके अलावा, कहते हैं कि, शादीशुदा व्यक्ति अगर भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाए तो उससे वैवाहिक जीवन खुशहाल हो जाता है। साथ ही संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।

    ‘महाशिवरात्रि’ के दिन भगवान शिव को 11 या 21 बेलपत्र चढ़ाएं। इस बात का ध्यान रखें कि, कोई भी पत्ती कटी या छटी हुई नहीं होनी चाहिए। इसके बाद इन्हें शुद्ध पानी से साफ करें और फिर गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद इन सभी बेलपत्रों पर चंदन से ओम लिखें। इसके बाद इत्र छिड़कर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र बोलते हुए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं।  

    * शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते वक्त जपें यह मंत्र  

    त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम् ।

    त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥

     

    अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम् ।

    कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम् ॥

     

    दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम् पापनाशनम् ।

    अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम् ॥

     

    गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर ।

    सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय ॥

     

    नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च

    नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो

    दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥