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जानिए भगवान श्री राम से जुड़े तथ्य (डिजाइन फोटो)

आज देशभर में रामनवमी 2024 धूमधाम से मनाई जा रही है क्या आपको पता है भगवान राम 4 भाई होने के साथ ही उनकी एक बहन शांता भी थी।

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सीमा कुमारी

नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: जैसा कि आप सभी जानते हैं कि, सनातन धर्म में रामायण व रामचरितमानस एक पवित्र एवं पूजनीय ग्रंथ हैं। जब भी बात रामायण काल की आती है, तो सबसे पहले मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम (Jay shree Ram) का नाम जरूर लिया जाता है। श्री राम के साथ उनके भाइयों का जिक्र भी हमेशा होता है। जब राम वनवास के लिए गए थे उस समय उनके साथ भ्राता लक्ष्मण भी गए थे। यूं कहा जाए कि श्री राम के साथ उनके भाइयों का अटूट रिश्ता था। आप सबने राम जी के सभी भाइयों का जिक्र जरूर सुना होगा लेकिन शायद ही आप में से किसी को भी पता हो कि श्री राम की एक बहन थीं।

सबसे बड़ी बहन थी शांता

शास्त्रों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि भगवान राम की सबसे बड़ी बहन शांता थीं। जब रामायण की बात आती है तब शांता का जिक्र लगभग न के बराबर होता है। लोग इस बात से अंजान हैं कि महाराजा दशरथ और रानी कौशल्या की सबसे बड़ी बेटी शांता थीं। आपको बता दें कि देवी शांता की कुछ स्थानों पर पूजा भी होती है। आइए जानें राम जी की बहन शांता के जीवन से जुड़ी कुछ ख़ास बातों के बारे में।

पांच भाई-बहन थे भगवान राम

रामायण की कहानी के अनुसार राजा दशरथ की तीन पत्नियां थीं और उनसे चार पुत्र थे। माता कौशल्या के पुत्र भगवान श्रीराम, माता सुमित्रा के पुत्र लक्ष्मण व शत्रुघ्न और माता कैकेयी के पुत्र भरत थे । जबकि कुछ धर्म ग्रंथ व पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा दशरथ एक पुत्री के भी पिता थे। यानि भगवान राम की एक बहन भी थीं और उनका नाम शांता था। भगवान श्रीराम की बहन शांता का जिक्र बहुत कम जगहों पर किया गया है और यही वजह है कि लोग उनके बारे में नहीं जानते।

ज्ञान और निपुणताओं से थी भरपूर

पौराणिक कथाओं की मानें तो, अयोध्या के रघुवंशी राजा दशरथ और माता कौशल्या की पुत्री शांता थी, जो कि बहुत ही गुणी और विद्वान थीं। राजा दशरथ अपनी पुत्री के ज्ञान व निपुणताओं को देखकर काफी प्रभावित थे क्योंकि शांता को हर विषय का ज्ञान था। लेकिन, इसके बावजूद एक ऐसी राजा दशरथ के जीवन में कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से उन्होंने अपनी प्रिय पुत्री को गोद दे दिया।

पुत्री को लिया था गोद

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महारानी कौशल्या की एक बहन वर्षिनी थी जिसका विवाह अंगदेश के राजा रोमपद से हुआ था। उन दोनों के कोई संतान नहीं थी। एक बार राजा रोमपद अपनी पत्नी वर्षिनी के साथ राजा दशरथ से मिलने अयोध्या आए। बातें करते समय राजा दशरथ को पता चला उनके कोई संतान नहीं है तो वह बहुत ही दुखी हुए। इसके बाद राजा दशरथ ने अपनी पत्नी कौशल्या से इस विषय में विचार-विमर्श किया और फिर अपनी प्रिय पुत्री शांता को गोद दे दिया। कहते हैं कि, शांता का पालन-पोषण अंगदेश में हुआ और वह हर रक्षाबंधन पर अपने भाईयों को राखी भी भेजा करती थीं।