जानिए भगवान विष्णु ने क्यों लिया था ‘मोहिनी रूप’, पढ़ें नारायण की यह कथा

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    -सीमा कुमारी

    इस साल ‘मोहिनी एकादशी’ (Mohini Ekadashi) व्रत 12 मई, अगले गुरुवार को है। एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अराधना की जाती है और व्रत भी रखा जाता है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

    साल की सभी एकादशी तिथियों से जुड़ी अलग-अलग मान्यताएं, परंपराएं और कथाएं धर्म ग्रंथों में बताई गई हैं। मान्यता है कि, इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। इसलिए इसे ‘मोहिनी एकादशी’ (Mohini Ekadashi 2022) कहते हैं। इस अवतार में भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृत पिलाया था। भगवान विष्णु को ‘मोहिनी रूप’क्यों लेना पड़ा, आइए जानें इससे जुड़ी कथा-  

    भगवान विष्णु को आखिर क्यों धारण करना पड़ा मोहिनी रूप?

    ‘मोहिनी एकादशी’ की पौराणिक कथा के मुताबिक, समुद्र मंथन के समय अमृत कलश के लिए देवताओं और दानवों के बीच घमासान मच गया। अमृत कलश देवताओं को मिले या दानवों को, इसके लिए विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई। कहा जाता है कि तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया, ताकि अमृत कलश से दानवों का ध्यान भंग किया जा सके। 

    जब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया तब दानव उनके मोहिनी रूप को देखकर मोहित हो गए। इस बीच देवताओं ने अमृत कलश से सारे अमृत का पान कर लिया।  माना जाता है कि देवतागण अमृत पीकर अमर हो गए। मान्यता है कि, जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था उस दिन वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि थी। यही कारण है कि इस दिन ‘मोहिनी एकादशी’ मनाई जाती है।

    एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। कहा जाता है कि मोहिनी एकादशी के व्रत से पापों से मुक्ति मिलती है। ऐसे में ‘मोहिनी एकादशी’ के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है और व्रत कथा का पाठ किया जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु की विधिवत पूजा से प्रभु प्रसन्न होते है। और भगवान विष्णु की कृपा से मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है।