-सीमा कुमारी
सनातन हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही महत्व है। अगर बात मार्गशीर्ष महीने की एकादशी की जाए तो, ऐसे में मार्गशीर्ष, यानी अगहन महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘मोक्षदा एकादशी’ (Mokshada Ekadashi) का व्रत रखा जाता है।
इसी दिन ‘गीता जयंती’ भी मनाई जाती है। इस साल ‘मोक्षदा एकादशी’ का पावन पर्व 14 दिसंबर यानी,मंगलवार को है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूरी श्रद्धा भाव से पूजा की जाती है। इसी के साथ महर्षि वेद व्यास और श्रीमद्भागवत गीता का भी पूजन का विशेष विधान है।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ‘मोक्षदा एकादशी’ के दिन व्रत के प्रभाव से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रतियों के सभी पापों का नाश होता है और उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक इसी खास दिन पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को ‘गीता’ का उपदेश दिया था। आइए जानें इस व्रत की पूजा शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में –
शुभ मुहूर्त
पंचांग अनुसार, मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की ‘मोक्षदा एकादशी’ सोमवार 13 दिसंबर को रात्रि 9 बजकर 32 मिनट पर शुरू होकर 14 दिसंबर को रात में 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। अतः साधक 14 दिसंबर को दिनभर भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना कर सकते हैं।
पूजा-विधि
- सर्वप्रथम प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
- स्नानादि से निवृत्त होकर घर के मंदिर की सफाई करें।
- इसके उपरांत पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें छिड़कें।
- इसके उपरांत मंदिर में भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र अर्पित करें।
- वस्त्रआदि अर्पण करने के बाद भगवान को रोली और अक्षत का तिलक लगाएं।
- भोग में भगवान को फल और मेवे अर्पित करें।
- पूजा आरंभ करते समय सबसे पहले भगवान गणपति और फिर माता लक्ष्मी के साथ श्रीहरि की आरती करें।
- भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अवश्य अर्पित करें।
‘मोक्षदा एकादशी’ व्रत महत्व
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपने अनन्य और परम मित्र अर्जुन को कुरुक्षेत्र के मैदान में ‘गीता-ज्ञान’ दिया था। ‘मोक्षदा एकादशी’ के दिन ‘गीता जयंती’ भी मनाई जाती है। शास्त्रों में निहित है कि ‘मोक्षदा एकादशी’ का व्रत करने से व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है।