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    -सीमा कुमारी

    देवाधिदेव महादेव शिव की उपासना का महापर्व ‘महाशिवरात्रि’ 1 मार्च मंगलवार को है। इस साल ‘पंचग्रही योग’ में शिवजी की पूजा होगी, हालांकि, पंचक के समय में भगवान शिव की पूजा करने में कोई परेशानी नहीं है। क्योंकि, भगवान शिव स्वयं महाकाल हैं, वे ही आदि हैं और अंत भी। उनकी पूजा में राहुकाल भी अमान्य होता है। 

    बिना पंचांग देखे आप भगवान शिव की आराधना कर सकते हैं, लेकिन पंचक लगने की वजह से कुछ काम करने की मनाही होती है वे काम करने से हानि होने की आशंका रहती है, इसलिए उनको वर्जित किया गया है। आइए जानें ‘महाशिवरात्रि’ के दिन पंचक कब लग रहा है, इसका क्या अर्थ है और इसमें कौन से काम नहीं करने है।

    महाशिवरात्रि 01 मार्च को है। इस दिन पंचक का प्रारंभ शाम 04 बजकर 32 मिनट पर हो रहा है। इसका समापन 06 मार्च दिन रविवार को तड़के 02 बजकर 29 मिनट पर हो रहा है।

    ज्योतिष-शास्त्र के मुताबिक, अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों के योग से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहते है। पंचक को अशुभ माना जाता है।  जब चंद्रमा कुंभ या मीन राशि में होता है, तब पंचक लगता है। घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती इन पांच नक्षत्रों को भी ‘पंचक’ (Panchak) कहते हैं।

    ‘पंचक’ के दौरान इन कार्यों को करना माना गया है वर्जित

    पंचक के समय में चारपाई आदि बनाने का कार्य नहीं करना चाहिए।

    पंचक के समय में घर की नई छत बनवाने का कार्य न करें।

    इस समय लकड़ी, घास ईंधन आदि भी एकत्रित नहीं करना चाहिए।

    पंचक के दौरान दक्षिण दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए।

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद तथा रेवती ये नक्षत्र पर जब चंद्रमा गोचर करते हैं, तो उस पूरी अवधि को पंचक काल या फिर ‘भदवा’ भी कहा जाता है। इस समय में मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है, लेकिन हर स्थिति में पंचक केवल अशुभ नहीं होता है। कुछ स्थितियों में पंचक शुभ भी रहता है।