सीमा कुमारी
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: भगवान कृष्ण और राधा जी (Radha-Krishna Love) को प्रेम का प्रतीक ‘फुलेरा दूज’ (Phulera Dooj 2024) का पावन त्योहार इस साल यह 12 मार्च, 2024 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, फुलेरा दूज, फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि पर मनाया जाता है।
प्रेम का प्रतीक हैं फूलेरा दूज
हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण और राधा जी को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। फुलेरा दूज का त्योहार मुख्य रूप से भगवान कृष्ण और राधा की पूजा के लिए ही समर्पित माना जाता है। इस विशेष दिन पर कृष्ण-राधा की पूजा करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
मथुरा में मानी जाती है होली
फुलेरा दूज के दिन से ही मथुरा में होली की शुरुआत मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने फुलेरा दूज के दिन से ही फूलों की होली खेलने की शुरुआत की थी। तभी से हर साल मथुरा में फुलेरा दूज का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस पर्व की धूम ब्रज क्षेत्र में, विशेषतः मथुरा-वृन्दावन में अधिक देखने को मिलती है। आइए जानें फुलेरा दूज का महत्व और शुभ मुहूर्त-
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 11 मार्च को सुबह 10 बजकर 44 मिनट से हो रही है। इसका समापन अगले दिन 12 मार्च 2024 को सुबह 7 बजकर 13 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए फुलेरा दूज 12 मार्च को मनाई जाएगी। इस दौरान राधा-कृष्ण की पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा –
राधा-कृष्ण की पूजा का मुहूर्त – 12 मार्च को सुबह 09 बजकर 32 मिनट से दोपहर 02 बजे तक
ज्योतिषियों के अनुसार, वैवाहिक जीवन के लिए ‘फुलेरा दूज’ पर करें ये उपाय-
किसी कारणवश अगर आपका विवाह नहीं हो रहा है या फिर आपके जीवन में प्यार की कमी है, तो आपके लिए फुलेरा दूज का दिन बहुत महत्व रखता है। आपको इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा-राधी की पूजा करनी चाहिए।
आप अगर श्रीकृष्ण और राधा जी को माखन मिश्री का भोग लगाकर उनका फूलों से श्रृंगार करेंगे, तो न सिर्फ आपके जीवन में प्यार का आगमन हो सकता है बल्कि अगर आपके वैवाहिक जीवन में परेशानियां आ रही हैं, तो उसका भी समाधान हो जाएगा। माना जाता है कि जो लोग इस फुलेरा दूज के दिन विवाह करते हैं, उनका रिश्ता मजबूत होता है और वे दम्पति जन्मों-जन्मों के साथी बन जाते हैं।
धार्मिक महत्व
फुलेरा दूज न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्व रखता है, बल्कि ज्योतिष-शास्त्र की दृष्टि से भी इस दिन का विशेष महत्व है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, फुलेरा दूज का दिन समस्त प्रकार के दोषों से मुक्त होता है, यही कारण है कि इस दिन को सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों के लिए विशेषकर विवाह आदि के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इसलिए इसे अभुज मुहूर्त भी कहा जाता है। इस अवसर पर कृष्ण मन्दिरों में विशेष झांकी अथवा दर्शन आयोजित किए जाते हैं, और भक्तों उनके दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।