आज है ‘शनि प्रदोष’, महादेव शिव को ‘इस’ विशेष मुहूर्त में चढ़ाएं ‘ये’ वस्तुएं, मिलेगी शनि दोष से मुक्ति और असीम कृपा, जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: कार्तिक माह का दूसरे शनि प्रदोष व्रत 5 नवंबर, दिन शनिवार को रखा जाएगा। शनिवार के दिन होने की वजह से इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। शनि प्रदोष व्रत करने से शिव जी के साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति की कामना से भी किया जाता है। ऐसे में आइए जानें शनि प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में

    तिथि

    कार्तिक माह का दूसरे शनि प्रदोष व्रत 5 नवंबर 2022 को रखा जाएगा। इस दिन प्रदोष काल में शिव का रुद्राभिषेक करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। जो भोलेनाथ की पूर्ण श्रद्धा से आराधना करता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

    शनि प्रदोष व्रत 2022 मुहूर्त  

    हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 05 नवंबर 2022 को शाम 05 बजकर 06 मिनट से आरंभ हो रही है। 06 नवंबर 2022, रविवार को शाम 04 बजकर 28 मिनट पर त्रयोदशी तिथि का समापन है।

    शनि प्रदोष पूजा मुहूर्त

    शाम 05:41 – रात 08:17

    पूजा विधि

    शनि प्रदोष व्रत वाले दिन पूजा के लिए प्रदोष काल यानी शाम का समय शुभ माना जाता है। सूर्यास्त से एक घंटे पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। संध्या के समय पुनः स्नान के बाद शुभ मुहूर्त में पूजन आरंभ करें। गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें। फिर शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें। इसके बाद विधि पूर्वक पूजन और आरती करें।

    शनि प्रदोष व्रत में क्या करें  

    शनि दोष निवारण के लिए शनि प्रदोष व्रत के दिन संध्याकाल में भोलेनाथ को काला तिल अर्पित करें और 108 बार भगवान भोले भंडारी के पंचाक्षर मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप करें ।  इससे धन संबंधित सभी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। वैवाहिक जीवन में सुख प्राप्त होगा । कालों के काल महाकाल यानी शंकर जी पर शनि प्रदोष के दिन 21 बेलपत्र एक-एक करके चढ़ाएं। फिर शिव चालीसा का पाठ करें। मान्यता है कि शिव को प्रसन्न कर लिया तो शनि के दुष्प्रभाव भी कम होने लगेंगे। शनि के प्रभाव से पीड़ित लोगों के लिए यह अचूक उपाय है।