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    -सीमा कुमारी

    हिन्दू धर्म में ‘रंभा तीज’ (Rambha Teej) व्रत का बड़ा महत्व है। सौंदर्य और सौभाग्य का प्रतीक ‘रंभा तीज’ का पावन पर्व इस बार 2 जून, गुरुवार को है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ माह (Jyeshta maah) के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए विशेष रूप से फलदायी एवं मनवांछित फल प्रदान करने वाली मानी जाती है।

    पौराणिक कथाओं के मुताबिक, अप्सरा रंभा की उत्पति देवों और असुरों द्वारा किए गए समुद्र मंथन से हुई थी। तो आइए जानें ‘रंभा तीज’ (Rambha Teej) का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और इसकी महिमा –

    शुभ मुहूर्त  

    ज्येष्ठ माह (Jyeshta Maah) के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ने वाला यह व्रत जातक के जीवन में प्रेम और सौभाग्य लाता हैं। यह व्रत 2 जून को रखा जाएगा।

    • तृतीया तिथि का आरंभ- 1 जून बुधवार की रात में 09 बजकर 47 मिनट से
    • तृतीया तिथि समापन- 3 जून, शुक्रवार की रात 12 बजकर 17 मिनट पर

    पूजा-विधि

    ‘रंभा तीज’ के दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़ा धारण कर लें। इसके बाद सूर्य की तरफ मुख करके बैठ जाएं और दीपक जलाएं। बता दें कि इस दिन विवाहित स्त्रियां सौभाग्य और सुंदरता की प्रतीक रंभा, धन की देवी मां लक्ष्मी और सती की विधि-विधान के साथ पूजा करती हैं। इस दिन कुछ जगहों पर चूड़ियों के जोड़े को रंभा के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। साथ ही, इस दिन रंभोत्कीलक यंत्र की भी पूजा की जाती है। अप्सरा रंभा को इस दिन चंदन, फूल आदि अर्पित किया जाता है।  इसके अलावा, रंभा तीज को हाथ में अक्षत लेकर इन मंत्रों का जाप करेंगे तो जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहेगी।

    • ॐ दिव्यायै नमः।
    • ॐ वागीश्चरायै नमः।
    • ॐ सौंदर्या प्रियायै नमः।
    • ॐ योवन प्रियायै नमः।
    • ॐ सौभाग्दायै नमः।
    • ॐ आरोग्यप्रदायै नमः।
    • ॐ प्राणप्रियायै नमः।
    • ॐ उर्जश्चलायै नमः।
    • ॐ देवाप्रियायै नमः।
    • ॐ ऐश्वर्याप्रदायै नमः।
    • ॐ धनदायै धनदा रम्भायै नमः।

    महिमा

    इस दिन विधिपूर्वक पूजन करने और मंत्रोच्चारण से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और सौंदर्य की प्राप्ति होती है। ये व्रत शादीशुदा महिलाओं द्वारा रखा जाता है और पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इतना ही नहीं, इस व्रत को कुंवारी महिलाएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए भी रखती हैं।