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    -सीमा कुमारी

    दिवाली का पर्व संपूर्ण भारत में बहुत ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। क्योंकि यह पर्व लक्ष्मी जी को समर्पित है, इस दिन धन की देवी लक्ष्मी जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म में लक्ष्मी जी को वैभव के साथ सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करने वाला माना जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि को दिवाली का पावन पर्व मनाया जाता है।

    इस साल दिवाली का पावन पर्व 04 नवंबर, गुरुवार को है। मान्यता है कि दिवाली पर मां लक्ष्मी की विधि पूर्वक पूजा करने से सुख-समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है। जीवन में धन की कमी नहीं रहती है।अमावस्या पर पड़ने वाले इस त्योहार को अंधेरे पर प्रकाश की, अज्ञान पर ज्ञान की, बुराई पर अच्छाई की और निराशा पर आशा की जीत का प्रतीक माना जाता है। आइए जानें दिवाली का पर्व का शुभ मुहर्त और पूजा-विधि –

    शुभ-मुहर्त

    अमावस्या तिथि 04 नवंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट से प्रारंभ होकर 05 नवंबर को सुबह 02 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन मुहूर्त शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक है। पूजन अवधि 01 घंटे 55 मिनट की है।

    ऐसे करें पूजा

    सर्वप्रथम पूजा का संकल्प लें। श्रीगणेश, माता लक्ष्मी, माता सरस्वती  के साथ कुबेर का पूजन करें।

    “ऊं श्रीं श्रीं हूं नम:” मैंट्स का 11 बार या एक माला का जाप करें।

    एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें।

    श्रीयंत्र की पूजा करें और उत्तर दिशा में प्रतिष्ठापित करें। ‘देवी सूक्तम’ का पाठ करें।

    मां लक्ष्मी को लगाएं यह भोग

    फलों में आप लक्ष्मीजी की पूजा में सिघाड़ा, अनार, श्रीफल अर्पित कर सकते हैं। दिवाली की पूजा में सीताफल को भी रखा जाता है। इसके अलावा दिवाली की पूजा में कुछ लोग ईख भी रखते हैं। सिंघाड़ा भी नदी के किनारे पाया जाता है, इसलिए मां लक्ष्मी को सिंघाड़ा भी बहुत पंसद है। मिष्ठान में मां लक्ष्मी को केसरभात, चावल की खीर जिसमें केसर पड़ा हो, हलवा आदि भी बहुत पसंद हैं।