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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: इस साल ‘वट सावित्री पूजा’ ( Vat Savitri Vrat 2023) 19 मई को है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए ‘वट सावित्री व्रत’ रखती हैं। मान्यता है कि, इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है और परिवार के सदस्यों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। इस विशेष दिन पर वट वृक्ष यानि बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। अगर आप पहली बार यह व्रत करने जा रही हैं तो आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। आइए जानें पूजा से जुड़े कुछ जरूरी नियम।

ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, यदि कोई सुहागिन महिला पहली बार वट सावित्री व्रत रखने जा रही है, तो उन्हें सबसे पहले स्नान के बाद लाल रंग की साड़ी पहनना चाहिए और श्रृंगार करना चाहिए। इसके बाद, वटवृक्ष यानी बरगद के पेड़ के नीचे साफ-सफाई कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। उसके बाद धूप और अगरबत्ती जलाना चाहिए। वट वृक्ष के चारों तरफ सात बार कच्चा धागा लपेटें और उसकी परिक्रमा करें।

कहते हैं, ‘वट सावित्री व्रत’ पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को अनाज, कपड़ा और धन दान करें। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि वट सावित्री व्रत का पारण भीगे हुए चने खाकर करना चाहिए। इन नियमों का पालन करने से जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

सुहागिन महिलाओं को सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। उसके बाद सावित्री सत्यवान की मूर्ति, कच्चा सूत, अक्षत, सिंदूर, बांस का पंखा, लाल कलावा, धूप, अगरबत्ती, मिट्टी का दीपक, सुहाग का श्रृंगार, मौसमी फल, इतर, सुपारी रोली, बताशा, कपड़ा, नारियल, पान का पत्ता इत्यादि को पूजन सामग्री में शामिल करना चाहिए।