पूजा के भोग चढ़ाने में ये गलतियां बिल्कुल न करें, वरना निष्फल हो सकती है पूजा-आराधना

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: सनातन धर्म में पूजा पाठ के बाद देवी-देवता को प्रसाद अर्पित करने का विधान है। कई लोग तीज-त्योहारों में विभिन्न प्रकार के भोग भगवान को चढ़ाते हैं। माना जाता है कि भगवान की पूजा करते समय भोग जरूर लगाना चाहिए। तभी पूजा पूर्ण मानी जाती है। लेकिन भगवान को भोग लगाते समय कुछ बातों का आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए। शास्त्रों में भी भोग लगाने के कुछ नियम बताए गए हैं, जिनके अनुसार भगवान को भोग लगाने से वे उसे ग्रहण करते हैं। साथ ही आपकी पूजा का शुभ फल भी आपको प्रदान करते हैं। आइए जानें उन नियमों के बारे में-

    शास्त्रों के अनुसार, देवी-देवता को भोग लगाने के लिए हमेशा चांदी, मिट्टी, पीतल या फिर सोने के बर्तन  का इस्तेमाल करना चाहिए। कभी भी एल्यूमिनियम, लोहे, स्टील आदि बर्तनों का इस्तेमाल  नहीं करना चाहिए।

    धार्मिक मान्यता है कि भगवान को लगाए गए भोग को प्रसाद के रूप में स्वयं ग्रहण करना चाहिए और बाकी लोगों में भी वितरित करना चाहिए। लेकिन इससे पहले इसका कुछ हिस्सा गाय को जरूर खिलाएं। भोग का प्रसाद गाय को खिलाने से देवी-देवता जल्दी प्रसन्न होते हैं। कई लोगों की आदत होती है कि देवी-देवता को प्रसाद चढ़ाने के बाद वहीं रख देते हैं। बल्कि ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद को सभी लोगों के बीच बांट देना चाहिए। क्योंकि भगवान के प्रसाद लंबे समय रखने से नकारात्मकता आ जाती है।

    शास्त्रों में गणेश जी, विष्णु जी, शिवजी से लेकर सभी देवी-देवताओं के भोग के बारे में विस्तार से बताया गया है। माना जाता है कि देवी-देवता को उनके अनुसार भोग लगाने से वह जल्द प्रसन्न होते हैं। लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है, तो आप एक ही प्रकार की मिठाई, मिश्री आदि से भोग लगा सकते हैं।