Balasaheb Thorat

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  • बोले-प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थोरात 
  • मोदी सरकार की नीति किसान विरोधी 
  • विपक्षी नेताओं का हल्ला बोल 

मुंबई. लोकसभा में कृषि संबंधित 2 बिल के पास होने के बाद जहां केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में शामिल शिरोमणि अकाली दल ने इसका पुरजोर विरोध शुरू कर दिया है, वहीं महाराष्ट्र में बीजेपी के विरोधी दलों ने भी इस बिल को किसान विरोधी करार दिया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार की नीति हमेशा से किसानों के खिलाफ रही है. उन्होंने कहा कि इस बिल के माध्यम से पिछले कई सालों से मार्केटिंग सोसायटी के रूप में काम रहे सिस्टम को तोड़ने की कोशिश की गई है.

थोरात ने कहा कि किसानों के अनाज को खरीदने के लिए बनाया गया सिस्टम काफी सोच–समझ कर तैयार किया गया है. इस सिस्टम में हमाल से लेकर किसानों तक का ख्याल रखा गया है, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे खत्म कर सब कुछ निजी हाथों में देने का फैसला किया है. यह बिल किसी भी लिहाज से किसानों के हक में नहीं है. थोरात ने कहा कि प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन मोदी की किसान विरोधी नीतियों का बड़ा उदाहरण है. इससे पहले देश में पर्याप्त मात्रा में दूध पाउडर होने के बावजूद केंद्र सरकार ने इम्पोर्ट कर किसानों को नुकसान पहुंचाया था. 

किसानों का विश्वास जरूरी 

एनसीपी के युवा विधायक रोहित पवार ने कहा है कि किसी भी नए बिल को लाने से पहले किसानों का विश्वास जीतना जरूरी होता है.उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के कृषि बिल में कई चीजों के निजीकरण पर ज्यादा जोर दिया गया है. पवार ने कहा कि बेहतर होता कि जो सिस्टम चल रहा है, उसमें सुधार कर किसानों की इनकम को बढ़ाने पर जोर दिया जाता.   

किसानों का पैसा हो सुनिश्चित 

महाराष्ट्र के कृषि मंत्री दादा भूसे ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आजादी देकर एक रास्ता तो खोल दिया है, लेकिन सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि किसानों को उनका पैसा वापस मिल सके. उन्होंने कहा कि कई बार बाहर के खरीददार रकम की एक-दो किश्त देकर किसानों का विश्वास जीत लेते हैं, लेकिन बाद में बड़ी रकम फंसा कर गायब हो जाते हैं. ऐसे में किसानों को अपने पैसे लेने के लिए काफी दौड़-धूप करनी पड़ती है. कई बार उनकी रकम डूब भी जाती है. कृषि मंत्री ने कहा कि सरकारी संस्थानों और मार्केटिंग सोसायटी के माध्यम से फसल बेचने के बाद किसानों को अपनी रकम मिलने की पूरी गारंटी रहती है. उन्होंने कहा कि इस बारे में अंतिम फैसला किसानों और जन प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श करके लिया जाना चाहिए था. भूसे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार जल्द ही इस तरह के ड्राइव शुरू करने वाली है, जहां किसान अपने उत्पाद सीधे ग्राहकों को बेंच सकेंगे.