कोरोनाकाल का शिकार स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसें

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  • शिवनेरी को नहीं मिल रहे यात्री 
  • लॉकडाउन में एसटी को 3600 करोड़ से ज्यादा का नुकसान 

मुंबई. पहले से ही भारी आर्थिक नुकसान में चल रहे महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम पर कोरोनाकाल का गंभीर असर हुआ है. एसटी पिछले लगभग 6 माह से कोरोना के जाल में और गहरे फंस गई है. लालपरी कही जाने वाली एसटी बसों के साथ एमएसआरटीसी की शिवनेरी को भी यात्री नहीं मिल रहे हैं. राज्य की राजधानी मुंबई से सांस्कृतिक राजधानी पुणे को जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर मुंबई-पुणे शिवनेरी सेमी लग्जरी एसी बस सेवा की शुरुआत की गई थी.

 मुंबई, ठाणे से पुणे रूट पर इस सेवा की राज्य में सबसे अधिक मांग थी. लॉकडाउन में यह सेवा रद्द कर दी गई, परंतु अनलॉक के बाद एसटी सेवा को जिले के बाहर शुरू किए जाने पर शिवनेरी को भी शुरू किया गया. लेकिन पिछले 20-22 दिनों में, शिवनेरी से मात्र 10 से 15 प्रतिशत यात्रियों ने ही यात्रा की है. लॉकडाउन के पहले शिवनेरी की 300 फेरियों के माध्यम से रोजाना 21,000 हजार से ज्यादा यात्री मुंबई-ठाणे-पुणे के बीच सफर करते थे. इस समय 44 की बजाय केवल 22 यात्रियों को शिवनेरी से यात्रा करने की परमिशन है.

पुणे-मुंबई में कोरोना बढ़ने का भी असर

पुणे-मुंबई में कोरोना संक्रमण बढ़ने का असर भी शिवनेरी और अन्य एसटी बसों पर पड़ा है. एसटी के एक अधिकारी ने बताया कि मुंबई-पुणे के लिए कई शिवनेरी बस में मात्र 8 से 10 यात्री यात्री सफर करते हैं. इससे खर्च भी नहीं निकल पा रहा है. शिवनेरी से प्रतिदिन मात्र 1200 से 1500 यात्री सफर कर रहे हैं. ठाणे-पुणे मार्ग पर 14-15 ट्रिप जबकि मुंबई-पुणे 30-31 ट्रिप होती है. एक सीट पर एक अकेले यात्री को बिठाया जाता है.

3600 करोड़ से ज्यादा नुकसान

लॉकडाउन की वजह से पिछले 6 माह में एसटी का 3600 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है. आलम यह है कि एसटी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए राज्य परिवहन महामंडल के पास पैसे नहीं हैं. लॉकडाउन के पहले रोजाना एसटी की आय लगभग 22-23 करोड़ रुपए थी. एसटी के लगभग 98 हजार कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है. अगस्त में राज्य सरकार ने एसटी कर्मचारियों के बकाया वेतन व अन्य खर्च के लिए 500 करोड़ रुपए की मदद घोषित दी थी. मनसे एसटी कामगार सेना के अध्यक्ष हरी माली ने कहा कि एसटी महामंडल को संकट से उबारने के लिए 5 हजार करोड़ के पैकेज की आवश्यकता है. राज्य सरकार वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों, स्वतंत्रता सेनानियों और अन्य लोगों के लिए किराए पर रियायत के लिए एसटी को सालाना 1,800 करोड़ रुपये का भुगतान करती रही है. यदि यह राशि भी सरकार तत्काल देती है,तो कुछ राहत मिल जाएगी. लॉकडाउन के पहले लगभग 16,000 एसटी बसें चलती थीं, जिनसे रोजाना 68 से 70 लाख लोग करते थे, इस समय इनकी संख्या मात्र 10 से 12 लाख हो गई है. इससे राजस्व घाटा बढ़ कर 5500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है.