Court approves sacking of 12 Manpa employees, High Court validates Munde's decision
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  • हाईकोर्ट ने जारी किए आदेश

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नागपुर. कोरोना मरीजों को उपयुक्त इलाज देने में बरती गई लापरवाही और प्रशासन के प्रबंधन को लेकर नरेश पुगलिया की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अविनाश घारोटे ने 21 दिसंबर तक के लिए सुनवाई स्थगित करते हुए चंद्रपुर मनपा के आयुक्त और जिलाधिकारी को अगली सुनवाई के दौरान अदालत में हाजिर रहने के आदेश दिए.

याचिकाकर्ता की ओर से अधि. श्रीरंग भांडारकर, केंद्र सरकार की ओर से अधि. उल्हास औरंगाबादकर, राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सरकारी वकील निवेदिता मेहता और चंद्रपुर महानगर पालिका की ओर से अधि. महेश धात्रक ने पैरवी की. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता का मानना था कि कोरोना से निपटने में प्रशासन की ओर से कई तरह की खामियां रही है. यहीं कारण है कि चंद्रपुर में कोरोना का फैलाव हुआ. यहां तक कि कोरोना से पीड़ितों को समय पर उपचार भी उपलब्ध नहीं हो पाया है.

पर्याप्त दवा और आक्सीजनेटेड बेड भी नहीं

याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि कोरोना बाधित मरीजों के इलाज के लिए पर्याप्त दवा के अलावा आक्सीजनेटेड बेड भी उपलब्ध नहीं कराए गए थे. मरीजों को हरसंभव इलाज उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर भी नहीं रहा है. दोनों पक्षों की दलिलों के बाद अदालत का मानना था कि याचिका में तमाम प्रतिवादियों को 7 अक्टूबर को नोटिस जारी किया गया था.

इन प्रतिवादियों में से विशेष रूप से मनपा आयुक्त और जिलाधिकारी का हलफनामा जरूरी था. हालांकि चंद्रपुर महानगर पालिका की ओर से हलफनामा तो दायर किया गया, लेकिन जिलाधिकारी की ओर से कोई भी जवाब अबतक नहीं दिया गया. इसके अलावा मनपा की ओर से जो हलफनामा दिया गया, वह उपायुक्त के हस्ताक्षर का शपथपत्र है. जबकि मनपा की ओर से उन्हें प्राधिकृत नहीं किया गया था. हलफनामा में पर्याप्त जानकारी का भी अभाव देखा जा रहा है. अत: दोनों प्रतिवादियों को अगली सुनवाई के दौरान हाजिर रहने के आदेश दिए.