Drugs
प्रतीकात्मक तस्वीर

  • मुंबई जाकर छिपे कई ड्रग पेडलर

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नागपुर. एक बार जिसे ड्रग्स की लत लग जाए तो उसे बचाना बहुत मुश्किल हो जाता है. यह नशा ही ऐसा है कि जो एक बार इसके आगोश में चला जाए वह बाहर नहीं निकल सकता. एमडी (मेफेड्रॉन ड्रग्स) के चक्कर में व्यापारी ही नहीं संपन्न घरों की लड़कियां भी बर्बाद हुई है. इस ड्रग्स ने कई लड़कियों का जीवन बर्बाद कर दिया है. शहर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके है. खुद एनडीपीएस सेल ने कुछ लड़कियों को ड्रग्स रैकेट में पकड़ा है. नशे का धंधा करने वाले युवा अपने पैसे और रूबाब में लड़कियों को अपने जाल में फंसाते है. पहले उन्हें शौक के लिए ड्रग्स दिया जाता है.

3-4 बार सेवन करने के बाद इसकी लत लग जाती है. फिर चाहे जो भी हो लत लगने के बाद इंसान कुछ भी करने को तैयार हो जाता है. विशेषतौर पर बाहरी राज्यों से शहर में पढ़ने आने वाली होस्टलाइट लड़कियों को टार्गेट किया जाता है. परिजन तो महीने के साधारण खर्च के हिसाब से पैसे भेजते है, लेकिन नशे की लत लगने के बाद इसका खर्च उठाना मुश्किल हो जाता है.

ऐसे में कई लड़कियां कुछ भी करने को तैयार हो जाती है. पुलिस के डर से कई ड्रग पेडलर मुंबई में छिपकर बैठ गए है. शहर में एमडी ड्रग्स लाने वाला साजिद अब मुंबई में सेटल हो गया है. अब वह होलसेल में एमडी का काम करता है. बताया जाता है कि वह खामला और जरीपटका के कई व्यापारियों के अब भी संपर्क में है. वही उन्हें माल पहुंचाने का काम करता है.

दक्षिण नागपुर में फैलाया जाल 

किसी समय दक्षिण नागपुर में आबू के भांजे जावेद बच्चा का एक छत्र राज हुआ करता था. एमडी के साथ पकड़े जाने के बाद वह जेल में था और जेल में ही उसकी मौत भी हो गई. अब जावेद की जगह नए ड्रग पेडलर सक्रिय हो गए है. आशीर्वादनगर का राहुल और हसनबाग का पक्या बड़े पैमाने पर मुंबई से माल खरीदकर शहर में बेच रहा है. आधे से ज्यादा पुराने ड्रग पेडलर जेल में है. इसका फायदा नए लोग उठा रहे है. भालदारपुरा का वासी और टेका नई बस्ती का लंगड़ा भी शहर के अलग-अलग इलाकों में माल बेच रहे है. जानकारी मिली है कि कलमेश्वर क्षेत्र में जुआ क्लब चलाने वाला गुई अपने खिलाड़ियों के लिए एमडी मंगवाता है. नशे में ताश खेलने वाले जोश में आ जाता है और जुआ बढ़ता चला जाता है. इसका फायदा क्लब चलाने वाले को होता है. 

मुंबई से दुगने दाम और मिलावटखोरी 

जानकारी मिली है कि मुंबई से दोगुने दाम में यहां एमडी बेची जाती है. इतना ही नहीं ज्यादा कमाई के लिए ड्रग्स में मिलावटखोरी भी होती है. मुंबई में एमडी 1200 से 1500 रुपये प्रति ग्राम में मिलती है, जबकि नागपुर आने के बाद इसकी कीमत 3000 रुपये प्रति ग्राम हो जाती है. इसमें भी मिलावटखोरी की जाती है. जानकारों का कहना है कि कुछ लोग एमडी में अजीनोमोटो और पैरासेटामॉल की गोली का पावडर मिलाकर क्वांटिटी बढ़ा देते है. कुछ लोग प्रतिबंधित नाइट्रो 10 गोली मिला देते है. नाइट्रो 10 गोली इन्सोम्निया के इलाज के लिए दी जाती है. गोली का सेवन करने के बाद नींद और नशा मेहसूस होता है. नींद से जुड़ी परेशानी होने पर डाक्टर यह गोली देते है. बगैर डाक्टर के प्रेस्क्रिप्शन के यह गोली नहीं मिलती, लेकिन ड्रग पेडलरों की फार्मसी में सेटिंग होती है. 

1 पुड़िया पर 500 रुपये कमिशन

ड्रग पेडलर पुलिस से बचने के लिए खुद माल नहीं बेचते. यही वजह है कि अब माल की बिक्री बढ़ाने के लिए युवाओं को रैकेट में शामिल किया जा रहा है. 18 से 25 उम्र के युवकों को गैंग में शामिल करके ड्रग पेडलर अपना हित साधने में लगे है. 1 पुड़िया पर 500 रुपये का कमिशन दिया जाता है. इन युवाओं का काम ड्रग पेडलर से पुड़िया लेकर ग्राहकों तक पहुंचाने का होता है. इससे आसान कमाई कहां होगी. युवा भी अपने शौक पूरा करने के लिए इनके झांसे में आ जाते है. ग्राहकों के पास ड्रग पेडलर के नंबर होते है. ड्रग पेडलर नए ग्राहकों को 2-3 जगह घुमाने के बाद माल की डिलेवरी देते है. यदि जल्द इन ड्रग पेडलरों पर नकेल नहीं कसी गई तो युवा पिढ़ी पर इसका असर होते देर नहीं लगेगी.