Weekend curfew in Nagpur
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    नागपुर. प्रशासन द्वारा 30 अप्रैल तक लगाए गए लॉकडाउन के बाद भी गैरजिम्मेदार लोग बेवजह घरों से बाहर निकल रहे थे. इसे देखते हुए पुलिस प्रशासन ने एक दिन पूर्व ही सभी चौराहों और सड़कों पर नाकाबंदी कर ऐसे लोगों की धरपकड़ शुरू की. स्पाट पर ही एंटीजन टेस्ट करवाया और 18 पॉजिटिव को सीधे वहीं से 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया. पुलिस की इस कड़ी कार्रवाई का असर संडे को सिटी में देखने को मिला. कार्रवाई के भय से बेवजह बाहर निकलने वालों ने भी घर में ही संडे बिताया. जिन्हें जरूरी काम था वही बाहर निकले. बाजार पूरी तरह बंद रहे और किराना, डेयरी, मेडिकल को छोड़कर सारे प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद नजर आए. कोरोना की दूसरी लहर में रोज ही 5,000 के ऊपर संक्रमित पाए जा रहे हैं.

    मरनेवालों की दैनिक संख्या भी अब 70 के ऊपर भयावह स्तर पर पहुंच गई है. विकराल होते कोरोना पर नियंत्रण के लिए ही सरकार ने लॉकडाउन लगाया है और नागरिकों से सहयोग की अपील की है. पुलिस के कड़े रवैये के पहले तो लोगों की भीड़ बैंक, डेयरी, किराना, रेस्टोरेंट के सामने नजर आ रही थी. लेकिन संडे को लोगों ने लॉकडाउन को अच्छा प्रतिसाद दिया. छुट्टी का दिन होने के बाद भी नागरिकों ने अपना पूरा दिन घर पर रहकर ही परिवार के साथ बिताया. सड़कों पर चहल-पहल तो थी लेकिन आम दिनों से बेहद कम. दोपहर को तो कई इलाके सुनसान नजर आए.

    ऑटो-सिटी बस भी रहे बंद

    लॉकडाउन से आवश्यक सेवाओं को छूट दी गई है जिनमें ऑटो व सिटी बसों का भी समावेश है लेकिन संडे को सिटी में ऑटो भी केवल रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के आसपास ही नजर आए. अन्य इलाकों में सवारी नहीं मिलने के चलते कुछ स्टैंड पर खड़े गप्पे मारते दिखे. अनेक ऑटो चालकों ने भी लॉकडाउन के चलते अपने ऑटो खुद ही बंद रख प्रशासन का सहयोग किया. फुटपाथों पर सुबह व शाम के समय सब्जी विक्रेता ही नजर आए. वहीं, फलवालों ने अपनी दूकानें सजाईं. कुछ बड़े होटलों, भोजनालय व रेस्टोरेंट में पार्सल की सुविधा उपलब्ध थी. सिटी बसें भी नहीं के बराबर ही नजर आईं. अनेक मुख्य सड़कों पर तो दोपहर के समय वीरानी छाई रही. इक्‍का-दुक्‍का वाहन व एम्बुलेंस ही नजर आए. 

    ठीये पर मजदूरों का मजमा

    लॉकडाउन में भले ही व्यापारियों ने प्रतिष्ठान बंद रखें हों, पूरा बाजार भी बंद रहा लेकिन मजदूरों के ठीये पर सुबह से ही भारी जमघट देखा गया. ये सारे मजदूर मास्क भी नहीं लगाए हुए थे. मानेवाड़ा सीमेंट रोड पर ज्ञानेश्वरनगर के समीप लगने वाले ठीये में मजूदर जमा हुए थे और इनमें से अधिकतर ने मास्क नहीं लगाया था, न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे. ऐसा ही नजारा भांडे प्लॉट चौक की ओर जाने वाले रोड में सेंटर प्वाइंट बॉलीवुड पार्क के समीप भी मजदूरों के ठीया का है. यहां भी सुबह से ही काफी मजदूर नजर आए. हालांकि, कोरोना के चलते अधिकतर साइट्स पर काम बंद हैं और लोगों ने बाहर से मजदूर लाने भी बंद कर दिये हैं इसलिए अधिकतर 2-3 घंटे के बाद वापस लौट गए. उन्हें काम नहीं मिली. लेकिन मजदूरों का इस तरह बिना मास्क लगाए और बिना सोशल डिस्टेंसिंग के जमना कोरोना के खतरे को बढ़ा भी सकता है. 

    सतर्क रहने की अपील

    सिटी में जिस तेजी से कोरोना दोबारा पैर पसार रहा है उसे देखते हुए प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पालक मंत्री के साथ ही मेयर द्वारा नागरिकों से लगातार सतर्कता की अपील की जा रही है. बिना जरूरी कार्य के घरों से बाहर नहीं निकलने, मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के साथ ही सैनिटाइजर का उपयोग या बार-बार साबुन से हाथ धोना बेहद जरूरी है. इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए. हालात इतने बदतर हो रहे हैं कि अगर इस पर निंयत्रण नहीं हो पाया तो सरकार 30 अप्रैल के बाद भी लॉकडाउन बढ़ा सकती है. 

    खर्रा, सिगरेट की बिक्री

    पानठेलों को छूट नहीं दी गई है लेकिन कुछ इलाकों में बिंदास बिक्री होती नजर आई. गिट्टीखदान, इंदौरा और जरीपटका, खामला सहित सिटी के कई इलाकों में पानठेला वालों ने अपनी दूकानें जरूर बंद रखी थी लेकिन सामने में बैठकर खर्रा, सिगरेट और गुटखा बेखौफ बेच रहे थे. ये भी दोगुने रेट में बिक्री करते देखे गए. इन पर कार्रवाई की जरूरत है. ये भी कोरोना फैलाने में सुपर स्प्रेडर का काम कर सकते हैं.