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  • आयुक्त के माध्यम से सीएम को भेजा पत्र

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नागपुर. महानगर पालिका की सभा में कर्मचारियों को 7वां वेतन आयोग देने के संदर्भ में प्रस्ताव तो पारित किया गया, किंतु इसे राज्य सरकार की मंजूरी के लिए भेजकर कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार किया गया. चूंकि राज्य सरकार की मंजूरी के बाद ही मनपा कर्मचारियों को लाभ देने पर सत्तापक्ष और प्रशासन अड़ा हुआ है.

अत: सरकार के पास लंबित इस विषय को मंजूरी देकर मनपा कर्मचारियों को न्याय देने की मांग विदर्भ म्युनिसिपल एंड लोकल बाडिज मजदूर कांग्रेस की ओर से की गई. अध्यक्ष त्रिशरण सहारे के नेतृत्व में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नाम मनपा आयुक्त को पत्र सौंपा गया. कार्याध्यक्ष गिरीश उपासनी, राजकु्मार मेश्राम, मुकेश निमकर, गौतम रंगारी आदि उपस्थित थे.

छोटी महानगर पालिकाओं में हो गया लागू

चर्चा के दौरान सहारे ने कहा कि चंद्रपुर जैसी छोटी महानगर पालिका में 7वां वेतन आयोग लागू करने के लिए 14 अक्टूबर 2020 को परिपत्रक जारी किया गया है. इसी तरह पनवेल महानगर पालिका में भी वेतन आयोग लागू करने के लिए परिपत्र जारी किया गया. छोटी महानगर पालिकाएं होने के बाद भी यहां तो लागू हो गया, लेकिन उपराजधानी की महानगर पालिका के कर्मचारियों के साथ न्याय नहीं किया जा रहा है. एक तरह से कर्मचारी राजनीति के शिकार हो रहे हैं. जब मनपा की सभा ने प्रस्ताव पारित कर लिया, तो इसे राज्य सरकार के विचारार्थ भेजने की आवश्यकता नहीं थी. जबकि राज्य सरकार द्वारा 7वां वेतन आयोग अपने कर्मचारियों को पहले ही लगा दिया है. किंतु आयुक्त के माध्यम से बेवजह तत्कालीन राज्य सरकार के कार्यकाल में इस मंजूरी के लिए भेजा गया. 

125 करोड़ भी कराए जमा

अन्य संगठनों की मांग को दोहराते हुए शिष्टमंडल ने कहा कि मनपा में 6वां वेतन आयोग लागू किया गया था. हालांकि इसके अनुसार वेतन का भुगतान तो होता है, लेकिन वेतन आयोग लागू होते समय दिए जानेवाले बकाया की राशी अबतक नहीं दी गई है. जिससे 52 माह का बकाया अभी भी प्रशासन पर है. तत्कालीन वित्त व लेखा अधिकारी द्वारा कर्मचारियों के वेतन से जीपीएफ काटा गया, लेकिन इसे खाते में जमा नहीं किया गया. जिससे 125 करोड़ का निधि अन्य कार्यों में खर्चा कर एक तरह से भ्रष्टाचार किया गया है. जिससे 125 की यह राशी तुरंत जमा करने के आदेश मनपा को देने की मांग उन्होंने की.