ड्रग्स पार्टी का सितम तेलंगाना के विधायकों का ‘दम मारो दम’

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Nishanebaaz) राजनीतिक पार्टियां क्या कम थीं जो तेलंगाना के 5 विधायकों ने बंगलुरू और हैदराबाद (Hyderabad) की ड्रग्स पार्टियों (Drug Parties) में शामिल होकर नशा किया! क्या इन लोगों के लिए एमएलए की कुर्सी का नशा काफी नहीं था जो मादक पदार्थों की ओर आकर्षित हो गए?’’ हमने कहा, ‘‘जो लोग हशीश, कोकीन, मरिजुआना, (Marijuana) कैनेबीज, एलएसडी जैसी ड्रग्स का सेवन करते हैं, वे नशे के बिना रह ही नहीं सकते. उन्हें रेव पार्टियों में जाने का भूत सवार रहता है. ये विधायक भी पुराने चरसी रहे होंगे. चरस, गांजा, अफीम लेने की आदत से मजबूर होंगे.

    उनके दिमाग में यही गीत गूंजता होगा- दम मारो दम, मिट जाए गम!’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जनप्रतिनिधियों को सदाचारी रहना चाहिए. उन्हें अपने चुनाव क्षेत्र में नशा मुक्ति अभियान चलाना चाहिए क्योंकि नशाखोरी ही सारी बुराइयों और अपराधों की जड़ है. यह खेद की बात है कि विधायक खुद ही नशेड़ी बन गए.’’ हमने कहा, ‘‘जिसके सिर पर नशा सवार होता है, वह किसी की नहीं सुनता बल्कि कहता है- 4 बोतल वोडका, काम अपना रोज का! जब सुशांतसिंह राजपूत की कथित आत्महत्या का प्रकरण चर्चा में था तब तो ऐसी खबरें चल पड़ीं थीं मानो सारा बालीवुड नशे की गिरफ्त में हो. तब मलाइका अरोड़ा, अर्जुन कपूर, शाहिद कपूर के रेव पार्टी के फोटो टीवी चैनलों पर दिखाए गए थे.

    ड्रग के नशे पर ‘जांबाज’ जैसी फिल्म बनी थी जिसमें श्रीदेवी की प्रमुख भूमिका थी. देवआनंद ने इसी समस्या पर ‘हरे राम हरे कृष्ण’ फिल्म बनाई थी. संजय दत्त भी ड्रग्स का आदी हो गया था लेकिन उसके पिता सुनील दत्त ने अमेरिका भेजकर उसका इलाज करवाया था. जिनके पास दौलत है लेकिन विवेक नहीं है, ऐसे लोग ड्रग्स का सेवन करते हैं. अभी भी होस्टल में रहने वाले कितने ही युवा ड्रग्स लेते हैं व हुक्का पार्लर में जाते हैं. यह एक गंभीर समस्या है. पंजाब के नौजवान भी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं. ड्रग्स का अंतरराष्ट्रीय रैकेट खत्म करना होगा क्योंकि नशीले पदार्थ शरीर और दिमाग को खोखला कर देते हैं.’’