पहले से बंद हैं भगवान, घटाया कद, बिगाड़ी शान विघ्नहर्ता का अपमापड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, गणेशोत्सव निकट है लेकिन पिछले वर्ष के समान इस साल भी रौनक नहीं रहेगी. पहले ही मंदिरों में भगवान बंद हैं. गणेशोत्सव में पहले जैसा उत्साह देखा जाता था, वह अब नहीं रह गया.’’ हमने कहा, ‘‘कोरोना संकट देखते हुए प्रतिबंध रहने भी चाहिए. सरकार ने सादगी से गणेशोत्सव मनाने की अपील की है. पहले लोग गणपति प्रतिमाओं व झांकियों का दर्शन करने पैदल दूर-दूर तक जाते थे. कुछ मंडलों के गणपति सचमुच वक्रतुंड महाकाय हुआ करते थे.
20-25 फुट ऊंची प्रतिमा लाई जाती थी. कभी सार्वजनिक गणेशोत्सव में नागरिक वाद-विवाद, खेल प्रतियोगिताएं, नकल, नाटक, संगीत, भजन जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ करते थे. बाद में आर्केस्ट्रा और रिकार्डिंग डॉन्स होने लगे. फिर प्रोजेक्टर लाकर सिनेमा दिखाया जाने लगा. जबसे टीवी आया, वह सब बंद हो गया.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, अब तो सार्वजनिक पंडालों में 4 फुट और घरों में 2 फुट की गणपति प्रतिमा स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं. जब प्रतिमा छोटी रहेगी तो लड्डू भी छोटे हो जाएंगे. कहीं ऐसा न हो कि लोग लड्डू और मोदक के प्रसाद की बजाय बताशे और चिरोंजीदाने से काम चलाने लगें. यदि ऐसा रहा तो गणेशजी का चूहा भी खाने को तरस जाएगा.’’ हमने कहा, ‘‘ज्यादा तामझाम न भी रहे तो क्या, श्रद्धा मन से उपजती है. सच्चे मन से ध्यान लगाओ तो सबका बेड़ा पार है.
सादगी से भी भक्ति हो सकती है. गणेश मंडलों से कहा गया है कि वे आरती-भजन-कीर्तन के दौरान भीड़ न होने दें. गणेश मंडप में सैनिटाइजेशन और थर्मल स्क्रीनिंग की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए. नागरिकों से मिले दान-चंदे का इस्तेमाल सांस्कृतिक गतिविधियों की बजाय स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू करने में किया जाए.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘गणपति से यही प्रार्थना करनी होगी कि कोरोना राक्षस का संहार करें तथा महंगाई, बेरोजगारी दूर करें. रिद्धि-सिद्धि सहित पधारकर भक्तों पर कृपा करें और अपने आशीर्वाद से सामान्य जनजीवन बहाल करें.’’