स्कूल प्रबंधन की मनमानी पर रोक लगाने की मांग, अभिभवकों ने राज्य सरकार से लगाई गुहार

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    ओम प्रकाश मिश्र 

    रांची. रांची (Ranchi) के स्थानीय एक स्कूल में शिक्षा के नाम पर मची लूट से अभिभावकों (Parents) का गुस्सा उबल पड़ा। स्कूल प्रबंधन (School Management) को अभिभावकों के गुस्से का खामियाजा भुगतना पड़ा। रांची के नामकुम स्थित आचार्यकुलम नामक विद्यालय प्रबंधन पर अभिभावकों ने मनमाने ढंग से सरकारी आदेशों को ताक पर रख कर जबरन फीस( Fees) वसूलने का आरोप लगाया है। अभिभावकों ने इस संबंध में झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण से गुहार लगायी है। एक हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण के अध्यक्ष को प्रेषित करते हुए स्कूल प्रबंधन की मनमानी पर अविलंब रोक लगाने और यथोचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। आज की शिक्षा प्रणाली का पूरी तरह व्यवसायीकरण हो गया है, इससे जहां गरीब तबके अभिभावक अपने बच्चों को तालीम दे पाने में महरूम है, वहीं मध्यम वर्गीय अभिभावकों में विद्यालयों में मनमाने ढंग से बेतहासा शुल्क बढ़ाने को लेकर भारी रोष व्याप्त है।  

    आचार्याकुलम विद्यालय में हुए झड़प के बाद अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधन ने किसी प्रकार का वार्षिक शुल्क नहीं लिए जाने का वादा किया था, लेकिन स्कूल प्रबंधन अब अपने वादे से मुकर गया है। इतना ही नहीं,  कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूल पूरे सत्र बंद रहा, लॉकडाउन की शुरुआत से ही स्कूल प्रबंधन 2500 रुपए प्रति माह की दर से साल भर की फीस भुगतान के लिए अभिभावकों पर लगातार दबाव बना रहा है। यहां तक कि छात्रों को परीक्षा से वंचित रखने और प्रमोशन रोकने तक की चेतावनी दी जा रही है।

    सरकार के आदेश का उल्लंघन

    अभिभावकों ने कहा है कि स्कूल प्रबंधन झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा 25 जून 2020 को जारी आदेशों का खुला उल्लंघन कर रहा है। अभिभावकों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि नए सत्र 2021-22 के लिए आचार्यकुलम् प्रबंधन ने एक नए शुल्क की तालिका  जारी कर दिया है, जिसमें वार्षिक शुल्क, डेवलपमेंट चार्ज, कंप्यूटर फीस, लाइब्रेरी चार्ज मिसलेनियस चार्जेज आदि के रूप में बड़ी राशि की  मांग की जा रही है। अभिभावकों ने कहा कि स्कूल प्रबंधन का यह फरमान सरकार के आदेश का उल्लंघन है और उसके अपने वादे का भी।

    अभिभावकों ने झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया

    इस संबंध मेंअभिभावकों ने पूर्व में उपायुक्त, जिला शिक्षा अधीक्षक, जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी सूचित किया था,  तत्पश्चात 25 फरवरी 2021 को झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव को भी इस संबंध में पत्र लिखकर इसकी लिखित शिकायत की थी। उक्त आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं होता देख अभिभावकों ने झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया है। गौरतलब है कि विगत कई वर्षों से स्कूल खोलकर विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करना और उनके भविष्य निर्माण करने के पथ से पथभ्रष्ट होकर लोगों ने शिक्षा का पूरी तरह व्यवसायीकरण कर लिया है, जिसका सीधा असर मध्यम वर्गीय परिवार के अभिभावकों पर पड़ रहा है। अभिभावकों का कहना है कि एक तो महंगाई से घर परिवार चलाना मुश्किल हो गया है ऊपर से कोरोना और लॉकडाउन से सैकड़ों लोगों की नौकरी चली गयी। कई काम बंद हो गए जिससे उनके रोजमर्रा की जिंदगी तबाह हो गयी है, ऊपर से स्कूलों की खुलेआम लूट से आम आदमी अपने बच्चों को पढ़ा पाने में असमर्थ हो गया है। अभिभावकों ने झारखंड सरकार से उम्मीद जताई है की इस मामले में सरकार से उन्हें राहत अवश्य मिलेगी।