State government to fund Pune-Lonavala railway track MP Shrirang Barane

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पिंपरी. पुणे-लोनावला (Pune-Lonavla) लोहमार्ग पर तीसरे और चौथे ट्रैक के लिए केंद्र सरकार (Central Government) में बजट (Budget) में आवंटन किया है, लेकिन राज्य सरकार (State Government) से निधि नहीं मिली है। कुछ जमीन का अधिग्रहण होना बाकी है। 

केंद्रीय बजटीय सत्र की पृष्ठभूमि में सह्याद्रि अतिथिगृह में राज्य के सांसदों की मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ हुई बैठक में मावल लोकसभा सीट से सांसद श्रीरंग बारणे (MP Shrirang Barane) ने राज्य सरकार से निधि उपलब्ध कराने और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने की मांग की। साथ ही पवना (Pawna) और उल्हास नदी (Ulhas River) सुधार योजना के लिए राज्य सरकार, मनपा और नगरपालिका से निधि देने की मांग भी की है।

जमीन का अधिग्रहण भी  बाकी 

इस बैठक में नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे, जलसंपदा मंत्री जयंत पाटिल, उद्योगमंत्री सुभाष देसाई उपस्थित थे। सांसद बारणे ने मावल लोकसभा चुनाव क्षेत्र से संबंधित मसलों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों के प्रयासों के बाद, पुणे-लोनावला रेलवे पर तीसरे और चौथे ट्रैक के लिए केंद्रीय बजट में प्रावधान किया गया है। हालांकि राज्य सरकार से निधि नहीं मिली है। कुछ जमीन का अधिग्रहण भी करना बाकी है। इस पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने तत्काल बैठक बुलाकर निर्णय लेने का भरोसा दिलाया। पिंपरी चिंचवड़ से बहनेवाली पवना और कर्जत से बहने वाली उल्हास नदियों की सुधार योजना के प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास लंबित है। राज्य सरकार ने 16 नदियों के सुधार के लिए 3810 करोड़ रुपए का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा है। हालांकि केंद्रीय मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने निधि देने में असमर्थता जताई है। अब राज्य सरकार, स्थानिक निकायों के साथ मिलकर इन योजनाओं को पूरा करें, यह मांग भी उन्होंने की।

केंद्र को राज्य सरकार तत्काल प्रस्ताव भेजे

सुदेश दर्शन योजना के तहत, लोहगढ़, विसापुर, तुंग, तिकोना, कारला, भाजे और घोड़ेश्वर गुफाओं के रखरखाव और मरम्मत के लिए निधि उपलब्ध कराएगा। इस संबंध में केंद्रीय मंत्रियों के साथ वार्ता हो चुकी है। हालांकि, इसका प्रस्ताव राज्य सरकार द्वारा भेजा जाना चाहिए। सांसद बारणे ने राज्य से प्रस्ताव तत्काल भेजने का अनुरोध भी किया। सिडको ने पनवेल, मुंबई क्षेत्र में कुछ परियोजनाओं का निर्माण किया है। हालांकि, इसके रखरखाव और देखभाल को लेकर सिडको और रेलवे विभाग एकदूसरे की ओर उंगली दिखाते हैं। रेलवे विभाग ने रेलवे ट्रैक को छोड़ अन्य खर्च सिडको को वहन करने को कहा है। इसलिए सिडको को इसे खर्च करना चाहिए, उन्हें तदनुसार सूचित किया जाना चाहिए।