प्रतीकात्मक तस्वीर
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    दुनिया के इतिहास में 18 फरवरी 2021 की तारीख को ज़रूर याद रखा जाएगा। यह दिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के लिए बेहद अहम है। इस दिन मंगल ग्रह (MARS) के सतह पर नासा का पर्सिवियरेंस रोवर (Perseverance Rover) लैंड करने वाला है। रोवर को लेकर नासा ने दावा किया है कि यह स्पेस साइंस की दुनिया में अब तक की सटीक लैंडिंग होगी। इस रोवर और मंगल ग्रह के बीच अब सिर्फ 39 लाख किलोमीटर की दूरी ही बची है, जो 18 फरवरी को बिलकुल खत्म हो जाएगी।  

    जानकारी के लिए बता दें की इससे पहले यूएई (UAE) का होप अभियान और चीन (China) का तियानवेन-1 भी मंगल की कक्षा में प्रवेश कर चुके हैं। वहीं नासा इस मिशन पर 19,633 करोड़ रुपये खर्ज कर रही है। नासा का यह पांचवा रोवर होगा, जो मंगल ग्रह पर उतरेगा। कैलिफोर्निया स्थित जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के इंजीनियर्स इसे लेकर बहुत साड़ी तैयारियां कर रहे हैं, ताकि रोवर 18 फरवरी की देर देर रात करीब 2 से ढाई बजे आराम से मंगल ग्रह की लाल मिट्टी पर लैंड करे।

    Nasa में साइंस मिशन डायरेक्टोरेट के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर Thomas Zerbuchen के मुताबिक, यह मार्स रोवर मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) में उतरेगा। यह अब तक की सबसे कठिन लैंडिंग मानी जा रही है। साइंटिस्ट का मानना है कि जेजेरो क्रेटरमें पहले नदी बाहा करती थी, जो बाद में झील में जाकर मिलती थी, लेकिन अब वहां पंखे के आकर में डेल्टा बन गया है। 

    वहीं यह मिशन NASA का अब तक का सबसे महत्वकांक्षी मिशन है। ये रोवर का असल मकसद मंगल ग्रह पर जीवन की मौजूदगी की तलाश करना है। इसके अलावा यह मंगल के सतह का सैंपल जमा करेगा और पृथ्वी पर लाएगा। इस मिशन पर दुनिया भर के वैज्ञानिकों की नज़र है। इस मार्स रोवर में नासा के वैज्ञानिकों ने नै तकनीक का भी इस्तेमाल किया है, जो उसे कठिन परिस्थितियों में भी आसान लैंडिंग करने में मदद करेगा।