
जैन हवाला डायरी प्रकरण ने नब्बे के दशक में विभिन्न पार्टियों के बड़े नेताओं को अपनी चपेट में ले लिया था. तब इस डायरी में ‘एल के’ नाम से एंट्री होने की वजह से आडवाणी ने अपने पद से उस समय तक हटने का एलान कर दिया था जब तक वे बेदाग साबित नहीं हो जाते. अब हवाला मामले को बोतल के भूत की तरह पुन: सामने लाते हुए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ भ्रष्ट व्यक्ति हैं और 1996 के हवाला घोटाले में शामिल थे. मीडिया पता लगाए कि उन पर इस मामले में चार्जशीट है या नहीं? इस घोटाले में लालकृष्ण आडवाणी, विद्याचरण शुक्ल और शरद यादव का नाम भी था. यह एक बड़ा राजनीतिक और वित्तीय घोटाला था जिसमें हवाला के जरिए विभिन्न दलों के शीर्ष नेताओं को धन दिए जाने का आरोप था. अभी तक धनखड़ ने इस मामले में अपनी सफाई नहीं दी है.
लोकतंत्र के लिए अहितकर ममता-धनखड़ के बीच विवाद
बंगाल में विधानसभा चुनाव के काफी पहले से और अब भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच कटुता बनी हुई है. दोनों एक दूसरे पर लगातार शब्द-बाण छोड़ते रहते हैं. ममता और उनकी पार्टी टीएमसी का आरोप है कि राज्यपाल बीजेपी के एजेंट की तरह काम करते हैं. वे अपने संवैधानिक पद की मर्यादा का पालन न करते हुए राज्य की राजनीति में अनुचित हस्तक्षेप करते रहे हैं.
बंगाल को विभाजित करने की साजिश
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि राज्यपाल धनखड़ बंगाल को विभाजित करने की साजिश कर रहे हैं. उन्होंने अपनी दार्जिलिंग यात्रा के दौरान अलगाववादी नेताओं से भेंट की जो उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं. राज्यपाल की दार्जिलिंग यात्रा उस समय शुरू हुई थी जब बीजेपी सांसद जॉन बारला ने उत्तर बंगाल को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग की थी. इस मामले में जॉन बारला पर मामला भी दर्ज कराया गया है. ममता का आरोप है कि राज्यपाल उत्तर बंगाल में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं. धनखड़ पहले 3 दिनों के लिए दिल्ली गए, फिर गुरुग्राम जाने के बाद उत्तरी बंगाल गए. उन्होंने अपनी यात्रा के लिए अचानक उत्तर बंगाल ही क्यों चुना? वे वहां पर बीजेपी सांसदों, विधायकों व ब्लाक अध्यक्षों से क्यों मिले? राज्यपाल को वहां क्यों भेजा गया?
केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग
ममता बनर्जी ने सवाल किया कि क्या केंद्र सरकार का एकमात्र काम यही है कि राज्य सरकारों को हर तरह से परेशान किया जाए? वे अपनी पराजय को पचा नहीं पा रहे और सीबीआई व ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर जनता को ऐसे समय भयभीत कर रहे हैं जबकि महामारी फैली हुई है.
राज्यपाल का आरोप
राज्यपाल धनखड़ ने आरोप लगाया कि जीटीए (गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन) में करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार हुआ है. लंबे समय से जीटीए का नए सिरे से गठन भी नहीं किया गया. अनियमितता ऐसी है कि वहां पंचायत और निगम चुनाव भी नहीं हुए. बंगाल के पहाड़ी इलाकों में निगम बोर्ड का चुनाव नहीं होता. राज्य सरकार द्वारा मनोनीत बोर्ड के जिम्मे क्षेत्र का विकास है, जो हो नहीं पाया है. राज्यपाल ने जीटीए अकाउंट की महालेखा परीक्षक व नियंत्रक (कैग) से ऑडिट कराने की बात कही. इस पर टीएमसी ने प्रतिक्रिया व्यक्त की कि बगैर जांच, भ्रष्टाचार का आरोप लगा देना गलत है. पहले जांच करा लेनी चाहिए थी. राज्यपाल ने पहले भी बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के पीड़ित बीजेपी कार्यकर्ताओं व उनके परिजनों से भेंट की थी. वे केंद्र को लगातार राज्य में कानून-व्यवस्था की गंभीर स्थिति के बारे में अवगत करा रहे हैं. केंद्र बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने का जोखिम नहीं ले सकता क्योंकि राज्य में हाल ही में चुनाव हुआ और बहुमत से निर्वाचित सरकार के साथ खिलवाड़ करना बहुत महंगा पड़ सकता है. अभी केंद्र की चिंता मार्च में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों को लेकर है जिनमें यूपी का चुनाव प्रमुख है.