Inauguration of new parliament amid protests

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आखिर 96 वर्ष पुरानी इमारत की जगह भारत को नया संसद भवन मिल गया. विपक्ष का विरोध इसलिए निरर्थक है कि इसके उद्घाटन समारोह के बहिष्कार के बावजूद वह संसद सत्र में तो यहां आएगा ही! विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे पर बल दिया था कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराया जाना चाहिए था न कि पीएम मोदी के हाथों से. एआईएमआईएम के ओवैसी का मत था कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला यदि उद्घाटन करते तो वे समारोह में शामिल होते. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी नए संसद भवन के उद्घाटन को राज्याभिषेक समझ रहे थे. बहिष्कार के फैसले का समर्थन करते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि यह समारोह केवल कुछ लोगों के लिए था जिसमें वे नहीं गए. पवार का आरोप था कि वो पिछले कई वर्षों से संसद के सदस्य हैं. इतना महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय संसद सदस्यों को विश्वास में लेने की आवश्यकता थी. नई संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों कराया जाना चाहिए था. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समय के साथ होनेवाली प्रगति व भव्यता रास नहीं आई. उन्होंने कहा कि संसद भवन अलग से बनवाने की क्या जरूरत थी? पुराने भवन को ही ठीक करवाना चाहिए था. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने टिप्पणी की कि आत्ममुग्ध तानाशाह प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया. भले ही विरोध करनेवाले अपनी भड़ास निकालें लेकिन उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि परिसीमन के बाद लोकसभा की सीटें बढ़ेगी. अभी 543 सीटें हैं जबकि नए भवन में लोकसभा चेंबर की 888 सीटें हैं. राज्यसभा में अभी 250 सदस्यों की क्षमता है. नए भवन में राज्यसभा के 384 सदस्य बैठ सकेंगे. सीटें भी पहले से ज्यादा चौड़ी होंगी. आजादी के 75 वर्ष बाद बदलती जरूरतों के अनुरूप नया संसद भवन उपलब्ध कराया गया है. नए संसद भवन की अपनी स्थापत्य कला और राष्ट्रीय पहचान है. भवन के ऊपर अशोक स्तंभ के सिंह तथा सत्यमेव जयते अंकित अशोक चक्र है. लोकसभा की सीलिंग (छत) राष्ट्रीय पक्षी मोरपंख के डिजाइन वाली है जबकि राज्यसभा की सीलिंग राष्ट्रीय फूल कमल जैसी है. आकर्षक साजसज्जा की गई है. नए भवन में विद्युत की खपत घटकर एक तिहाई रह जाएगी. नए संसद भवन के निर्माण में राजस्थान के जैसलमेर से लाया गया ग्रेनाइट, धौलपुर से लाया गया सैंडस्टोन (बलुआ पत्थर) विदर्भ की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया. यूपी के भदोही के 900 बुनकरों ने परंपरागत कारपेट तैयार किए. संपूर्ण निर्माण वास्तुशास्त्र के मुताबिक हुआ. नए भवन में संविधान हाल होगा जहां भारतीय लोकतंत्र की विकास यात्रा अंकित है. इस भवन का निर्माण अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने किया जिसमें 90 स्तंभ और 310 खिड़कियां हैं. मंत्रियों के लिए 92 कक्ष हैं पुराने भवन में 3 कमेटी रूम थे जबकि यहां 6 कमेटी रूम हैं. नया संसद भवन अपनी विशिष्ट डिजाइन और भव्यता के साथ विश्व को यह संदेश देता है कि एक नए भारत का उदय हुआ है जो ब्रिटिश राज की विरासतों को पीछे छोड़ चुका है और अपनी विशिष्ट राष्ट्रीय पहचान रखता है. यह भूकंपरोधी भवन 150 वर्षों तक उपयोगी रह सकता है.