सभी 8 पूर्व नौसैनिक रिहा, भारत का कतर पर प्रभाव रंग लाया

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यह भारत सरकार (Indian Government) की जीत है या प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) के दबदबे की? आखिर परदे के पीछे चली कूटनीतिक कोशिशें सुखद अंजाम तक पहुंचीं और मौत के मुंह से भारतीय नौसेना के 8 पूर्व कर्मी बाहर निकल (India All 8 former marines released) आए।  कतर ने इन पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया जिन्हें लगभग साढ़े तीन महीने पहले संदिग्ध जासूसी के प्रकरण में कतर की अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। 

दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करनेवाले इन भारतीय नौसैनिकों को जासूसी के आरोप में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था लेकिन न तो कतर के अधिकारियों ने और न ही भारत ने इन लोगों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सार्वजनिक रूप से जाहिर किया।  गत वर्ष 25 मार्च को इन 8 लोगों के खिलाफ आरोप दायर किए गए और कतर के कानून के मुताबिक उन पर मुकदमा चलाया गया।  26 अक्टूबर को इन्हें सजा-ए-मौत सुना दी गई।  इसके बाद अपीलीय अदालत ने 28 दिसंबर को मृत्युदंड को कम करते हुए पूर्व नौसैनिकों को अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई।

कंपनी ने काम बंद किया

पिछले वर्ष मई में अल दहरा ग्लोबल कंपनी ने कतर की राजधानी दोहा में अपना कामकाज बंद कर दिया और वहां काम कर रहे सभी लोग जिनमें मुख्य रूप से भारतीय थे, अपने घर लौट आए।  भारत और कतर के बीच 2015 में हुए समझौते के अनुसार भारत और कतर के उन नागरिकों के अपने-अपने देश में सजा काटने का प्रावधान है जिन्हें किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई है।

विदेश मंत्रालय ने सराहना की

विदेश मंत्रालय ने कहा कि रिहा किए गए 8 भारतीयों में से 7 भारत लौट आए है।  अपने नागरिकों की रिहाई तथा उनकी घर वापसी को संभव बनाने के लिए भारत सरकार कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद के फैसले की सराहना करती है।  प्रधानमंत्री मोदी के कतर के अमीर के साथ अच्छे संबंध हैं।

भारत और कतर के रिश्ते

भारत और कतर के बीच पारंपरिक रूप से अच्छे द्विपक्षीय संबंध हैं।  दोनों देशों के बीच करीब 15 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है और इसमें इजाफा हो रहा है।  भारत, कतर से एलएनजी और एलपीजी खरीदता है तो वहीं कतर, भारत से केमिकल, लोहा, तांबा और खाद्य पदार्थों को खरीदता है।  कतर, भारत को 42 फीसदी तक एलएनजी सप्लाई करता है।  भारत और कतर के बीच 2008 में एक रक्षा सहयोग समझौता भी साइन हुआ था।  भारत की तरफ से नेशनल डिफेंस कॉलेज और इंडियन मिलिट्री एकेडमी में भी कतर की सेना को ट्रेनिंग मिलती है।  वहीं, कतर की नौसेना भी लगातार संयुक्त अभ्यास में हिस्सा लेती है।  सात लाख भारतीय कतर में रहते हैं और काम करते हैं।  ये यहां का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बनाते हैं।

इजराइल का दुश्मन है कतर

विशेषज्ञ मानते हैं कि इतने अच्छे रिश्तों के बाद भी हाल के कुछ वर्षों में खाड़ी क्षेत्र में भारत के प्रयासों ने कतर के साथ संबंधों को प्रभावित किया है।  खाड़ी में कतर के अलग-थलग पड़ने का मतलब यह है कि वह सऊदी अरब और यूएई के साथ भारत के संबंधों के पक्ष में नहीं है।  कतर पारंपरिक रूप से मुस्लिम ब्रदरहुड का समर्थन करता रहा है।  तालिबान के अलावा हमास और हिज्बुल्लाह के नेता वहां यात्रा करते हैं और रुकते हैं।  तुर्की, पाकिस्तान, मलेशिया के साथ कतर को ओआईसी में यूएई-सऊदी अरब गठबंधन के लिए चुनौती के रूप में देखा गया है।  ऐसे में पाकिस्तान के साथ निकटता भारत के लिए एक खतरे का संकेत रही है।  कतर और इजरायल एक-दूसरे के दुश्मन हैं।  इजराइल, भारत का दोस्त है और यह दोस्ती हमेशा कतर की आंखों में चुभती आई है।

अभी कुलभूषण जाधव पाकिस्तान में कैद है

पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को जासूसी के झूठे आरोप में पाकिस्तान ने कैद कर रखा है।  यद्यपि अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारत ने अपील कर उसकी मौत की सजा रद्द करवा ली लेकिन पाकिस्तान सरकार ने उसे अभी तक रिहा नहीं किया है।  उसे पाकिस्तान में यातनाएं दी जाती रही हैं।