अमेरिकी ड्रोन से बढ़ेगी भारतीय सेना की ताकत

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लगभग चार अरब डॉलर के हथियारबंद अमेरिकी ड्रोन (American Drones) के सौदे से भारतीय सेना (Indian Army) की ताकत में बढ़ोत्तरी होगी। भारतीय सेना को अब 31 एमक्यू-9बी मानव रहित लड़ाकू ड्रोन, उनमें लगने वाली मिसाइलें और दूसरे उपकरण जल्द ही मिल जाएंगे।  यह पहला मौका होगा, जब किसी गैर नाटो देश को ये ड्रोन मिलेंगे।  यह 8 साल के प्यासों का नतीजा है, जिसमें भारत द्वारा 2016 में मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम पर दस्तखत कर उसका आधिकारिक सदस्य बनने की भी भूमिका अहम है, जिसके बिना यह संभव हो पाना कठिन था। 

अमेरिका और उसके साथी देश चाहते हैं भारत नाटो का सदस्य बन जाए, बेशक, इस सौदे से अमेरिका मुंह नहीं मोड़ सकता था।  सौदे के तहत मिलने वाले 31 हाई एल्टीट्राडू लॉग एंड्योरेंस यूएवी के दो संस्करण हैं, नौसेना को 15 समुद्री संस्करण सीगार्जियन ड्रोन मिलेंगे, जबकि सेना और भारतीय वायु सेना को आठ-आठ भूमि संस्करण स्काईगार्डियन ड्रोन दिये जायेंगे।  भारतीय सेना की मानवरहित रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में यह प्रभावी कदम साबित होगा। 

पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अमेरिका से 10 सी-17 ग्लोबमास्टर, 3 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 22 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर, पी8आई मेरीटाइम सर्विलांस एयरक्राफ्ट, 15 चिनूक हैवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर खरीदने के साथ लॉकहीड मार्टि से नौसेना के लिए जिन 24 एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टरों का सौदा किया था, उनकी आपूर्ति शुरू हो गयी है।  ऐसे में ये सौदा हमारे लिए हेलफायर मिसाइलों से लैस ये हथियारबंद ड्रोन अपनी सामरिक और तकनीक क्षमताओं में सर्वश्रेष्ठ हैं, जो किसी भी मौसम में 2155 किलो वजन के साथ अधिकतम चार हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचकर तीस से पैंतीस घंटे तक उड़ान भर सकते हैं।  मतलब हर ड्रोन में आठ लेजर गाइडेड मिसाइल आसानी से फिट की जा सकती हैं। 

अपने आप टेकऑफ और लैंड कर सकने वाले ये सेंसरयुक्त विमान आधुनिक रडार सिस्टम, इंफ्रारेड, लेजर, कैमरा से सज्जित होने के चलते सटीक निशाना लगाने और टोह लेने में सक्षम हैं।  लेटेस्ट गाइडेड एम्युनिशन वाले इन ड्रोंस को उपग्रह की सहायता से नियंत्रित किया जा सकता है।  लंबी दूरी और ज्यादा ऊंचाई तक उड़ान भरने की क्षमता इन्हें खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी रखने, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, एंटी-सरफेस वॉरफेयर और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर में हमला करने के अलावा समुद्री डकैती से निपटने, आपदा की अग्रिम सूचना देने, खोज और सहायता, राहत पहुंचाने में भी मददगार बनाती है। 

आइलैंड टेरिटरिज को मिलाकर हमारी 7517 किलोमीटर तटरेखा की सुरक्षा के लिए मौजूदा वक्त में महज दो एयरक्राफ्ट कैरियर सक्रिय हैं, आईएनएस विक्रमादित्य, आईएनएस विक्रांत।  इनको मजबूत सपोर्ट चाहिये।  समय पड़ने पर ये ड्रोंस हाई वैल्यू टारगेट भेदने, उन्हें तबाह करने के काम आ सकते हैं।  अणेरिका इस तरह के ड्रोन का इस्तेमाल तालिबान और आईएसआईएस के खिलाफ कर चुका है।