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    -अनिल चौहान 

    भायंदर: इस साल अच्छी बरसात के बावजूद मीरा-भायंदर (Mira-Bhayander) में जारी पेयजल संकट (Drinking Water Crisis) को लेकर विपक्ष के बाद गुरुवार को सत्तापक्ष भाजपा (BJP) भी सड़क पर उतरी, लेकिन उनके आंदोलन का कोई खास फायदा मिलता नजर नहीं आ रहा है। भाजपा के शिष्टमंडल के सवालों का उत्तर देते हुए महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल (MIDC) के मुख्य अभियंता सुधाकर वाघ ने साफ शब्दों में कहा कि वे 110 एमएलडी से ज्यादा पानी नहीं दे सकते हैं क्योंकि इससे ज्यादा पानी छोड़ने पर पाइपलाइन (Pipeline) फटने लगती है। 

    वाघ ने कहा कि कटई से शिरफाटा के बीच 14 किमी पाइपलाइन बदलनी है। इसमें से 8 किमी बदली जा चुकी है और उसमें इंटनरल तीन कनेक्शन करने हैं। इसके लिए कम से कम महीने में दो दिन टोटल शटडाउन रखना पड़ेगा। जिसकी वजह से मीरा-भायंदर का 8 दिन पानी बंद रहेगा। हालांकि हमारी कोशिश है कि कम से कम शटडाउन करना पड़े।

    महीने के तीसों दिन पानी देने की दलील 

    भाजपा के पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता में दलील रखी थी कि शहर को एमआईडीसी को महीने में 4000 एमएलडी पानी की जगह 2300 से 2700 एमएलडी पानी ही मिल रहा है। हमें हमारे एमआईडीसी के कोटे का 135 में से 125 एमएलडी और नवी मुंबई का 20 एमलडी पानी महीने के 30 दिन मिलना चाहिए। शटडाउन के अगले दिन दोनों दिन का छोड़ा जाए। साल 2019 में एमआईडीसी से 118 एमएलडी तक पानी आया था।

    स्टेम की लाइन में ठाणे का कनेक्शन 

    चर्चा के दौरान यह खुलासा हुआ कि दूसरे स्रोत स्टेम प्राधिकरण की पाइपलाइन में ठाणे महानगरपालिका का कनेक्शन का है। इसकी बदौलत मीरा-भायंदर को 86 की जगह 70 से 73 एमएलडी पानी ही मिल रहा था। मीरा-भायंदर महानगरपालिका के जलापूर्ति अभियंता सुरेश वकोड़े ने बताया कि गुरुवार को 84 एमएलडी पानी आया है। नरेंद्र मेहता ने सवाल किया कि इसका मतलब स्टेम का 10 एमएलडी पानी चोरी हो रहा था? ज्यादा पानी के लिए हमें क्या रोज आंदोलन करना पड़ेगा? कमिश्नर दिलीप ढोले ने बताया कि स्टेम की जलापूर्ति पर नजर रखने के लिए खास तौर पर एक कमेटी बनाई गई है और जल्द ही एक इंजीनियर की नियुक्ति की जाएगी।

    राजनीतिक टकराव होने से बचा

    पानी की किल्लत को लेकर शहर का राजनीतिक परा चढ़ा हुआ है। विपक्ष की शिवसेना मटकी फोड़ आंदोलन कर रही है। उसका आरोप है कि सत्तापक्ष भाजपा पानी देने में असफल रही है, जबकि भाजपा का सीधा आरोप है कि एमआईडीसी राज्य सरकार के अधीन है। राज्य में सरकार शिवसेना की है और वह जानबूझकर पानी कम दे रही है। दो जगहों पर नागरिकों द्वारा धरना दिया जा रहा है। गुरुवार को जनता और भाजपाइयों का भारी हुजूम सिल्वर पार्क में जमा हुआ। वहां पहले चेकनाका तक पदयात्रा, फिर वहां से अंधेरी स्थित एमआईडीसी के कार्यालय पर धरना के लिए उन्हें रवाना होना था। मौके की गंभीरता को देखते हुए एमआईडीसी अधिकारी स्वयं मीरा-भायंदर महानगरपालिका मुख्यालय पहुंच गए। कमिश्नर दिलीप ढोले ने भाजपाइयों को चर्चा के लिए मुख्यायलय ही बुला लिया। वहां पहुंचने पर पता चला कि कमिश्नर ने संयुक्त बैठक बुला रखी है और मौके पर विधायक गीता जैन सहित शिवसेना-कांग्रेस के जनप्रतिनिधि मौजूद थे। पक्ष-विपक्ष दोनों के बीच गर्मागर्म बहस और जोरदार नारेबाजी शुरू हो गई। बाद में कांग्रेस-शिवसेना के नेताओं को महापौर कक्ष में भेजा गया। तब जाकर भाजपा के शिष्टमंडल से प्रशासन की चर्चा शुरू हो सकी।